गुरुवार, 7 जुलाई 2011

शेर और चूहा (काव्य-कथा)

सोया एक  शेर जंगल में,
चूहा उस पर लगा कूदने.
गुस्सा बहुत शेर को आया,
पकड़ा चूहा पंजे से उसने.


चूहा  लगा  कांपने  डर से,
बोला दोनों हाथ जोड़ कर.
माफ करो जंगल के राजा,
गलती नहीं करूँगा में अब.


छोटा बहुत  आपके सम्मुख,
पर अहसान नहीं भूलूँगा.
जब भी तुम मुश्किल में होगे,
मैं  सबसे  पहले  पहुंचूंगा.


हंसने  लगा शेर जोरों से,
तुम चूहे क्या मदद करोगे.
चलो छोड़ देता हूँ तुमको,
तुम मेरा क्या पेट भरोगे.


शेर फंस गया था जंगल में,
कुछ  दिन बाद एक फंदे में.
जितना ज्यादा जोर लगाता,
कसता जाता उतना फंदे में.


सुन कर दर्द भरी चीखों को,
चूहा वहाँ भाग कर आया.
बोला तुम अब मत घबराओ,
तुम्हें  बचाने  मैं  हूँ आया.


कुतर दिया फंदा दांतों से,
शेर जाल से बाहर आया.
आज़ादी अपनी पाने पर,
चूहे को आभार जताया.


निर्बल पर तुम दया दिखाओ,
दया  का फल  मीठा  होता है.
होता हुनर  सभी में  कुछ तो,
कद से न गुण छोटा होता है. 

15 टिप्‍पणियां:

  1. आप का बलाँग मूझे पढ कर आच्छा लगा , मैं बी एक बलाँग खोली हू
    लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  2. सोया एक शेर जंगल में,
    चूहा उस पर लगा कूदने.
    गुस्सा बहुत शेर को आया,
    पकड़ा चूहा पंजे से उसने.

    बहुत सुंदर बाल कविता

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर ||

    कल आप की पुरानी बाल रचना चर्चा-मंच पर है ||

    जवाब देंहटाएं
  4. bachpan mein padhi sher aur chuha kee kavita ko naye roop mein padhna bahut achha laga..
    badiya baal kavita...aabhar

    जवाब देंहटाएं
  5. kahani ka kavya roop bahut sureela laga...saral shabdon me sunder kavita.

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी बाल-रचनाएँ बहुत ही सहज, सरल और कर्णप्रिय होती हैं.
    कृपया आप अपने सम्पूर्ण आवासीय पते का प्रति-टिप्पणी में उल्लेख करें... मुझे कुछ कहना है.

    आपको ब्लॉग-लेखन के एक वर्ष पूरा करने पर बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  7. नमस्कार ! सुन्दर , मनोहारी एवं उपयोगी प्रस्तुति के लिए बधाई .

    जवाब देंहटाएं
  8. निर्बल पर तुम दया दिखाओ,
    दया का फल मीठा होता है.
    होता हुनर सभी में कुछ तो,
    कद से न गुण छोटा होता है.
    --
    शिक्षाप्रद एवं बालोपयोगी अच्छी रचना!

    जवाब देंहटाएं
  9. बचपन की "बाल-भारती" याद आ गई. कहानी का पद्य रूप सरल एवम बालोपयोगी है.

    जवाब देंहटाएं
  10. बच्चों के लिए,बच्चों की मानसिकता को समझते हुये लिख
    पाना बड़ा मुश्किल होता है. आपने बड़ी सहजता के साथ इस उद्देश्य की पूर्ति की है. साधुवाद.
    आनन्द विश्वास.
    अहमदाबाद.

    जवाब देंहटाएं
  11. बच्चों के लिए,बच्चों की मानसिकता को समझते हुये लिख
    पाना बड़ा मुश्किल होता है.आपने बड़ी सहजता के साथ इस उद्देश्य की पूर्ति की है. साधुवाद.
    आनन्द विश्वास.
    अहमदाबाद.

    जवाब देंहटाएं
  12. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (09.07.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

    जवाब देंहटाएं
  13. एक प्रभावशाली रचना,जो मन और मस्तिष्क पर प्रभाव छोडती है.साधुवाद.
    आनन्द विश्वास

    जवाब देंहटाएं

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