रविवार, 21 अगस्त 2011

चालाक लोमड़ी ( काव्य-कथा )

कौए को एक मिली थी रोटी,
बैठा उसे पेड़ पर लेकर.
खाऊँगा अब इसे स्वाद से,
धीरे धीरे, मजे ले लेकर.

एक लोमड़ी ने जब देखा,
रोटी देख के वो ललचायी.
कैसे  यह  रोटी  मैं  पाऊं,
उसने उसकी जुगत लगायी.

मेरे  सुन्दर  प्यारे  भैया,
तुम कितना मीठा गाते हो.
सब गाते जंगल में बेसुर,
तुम ही बस अच्छा गाते हो.

कौआ हुआ फूल कर कुप्पा,
जब उसने ये सूनी प्रशंसा.
बुद्धि बंद हो गयी उसकी,
समझ न पाया उसकी मंशा.


गाने को जैसे ही मुंह खोला,
नीचे गिरी चोंच से रोटी.
भाग गयी लेकर के लोमड़ी,
बोली बुद्धि तुम्हारी मोटी.


झूठी तारीफ़ से बचना सीखो,
अपनी कमियों को पहचानो.
चापलूस  हैं  बहुत  यहाँ  पर,
उनकी बातों का मतलब जानो.

बुधवार, 17 अगस्त 2011

हम भारत के वीर : प्रभा तिवारी

हमें निरा बालक मत समझो,
  हम हैं भारत भूमि के वीर.

पढ़ने में ध्यान लगाते हैं,
हम खूब खेलते खाते हैं.
जब काम पर जा जुट जाते हैं,
तब हटा नहीं सकते हमको,
बिजली, ओले, आंधी और नीर.
हमें निरा बालक मत समझो,
हम हैं भारत भूमि के वीर.

मत कहो अकल के कच्चे हैं,
हम सभी शेर के बच्चे हैं.
विश्वासी, सीधे, सच्चे हैं,
अवसर पर चला दिखा देंगे
अभिमन्यु जैसे तीर.
हमें निरा बालक मत समझो,
हम हैं भारत भूमि के वीर.

आगे आगे ही बढ़ना है,
ऊँचे ऊँचे ही चढ़ना है. 
कुछ नया नया ही गढ़ना है,
सम्पूर्ण विश्व में गुरुतम होगी
भारत की तस्वीर.
हमें निरा बालक मत समझो,
हम हैं भारत भूमि के वीर.

लहर नयी फिर आयी है,
जिसने यह राह दिखायी है.
अन्ना जी से प्रेरणा पायी है,
सब मिलकर उनके साथ चलें
भ्रष्टों की बदल देवें तदवीर.
हमें निरा बालक मत समझो,
हम हैं भारत भूमि के वीर.

प्रभा तिवारी 
भोपाल.(bhajgovindam1.blogspot.com)





रविवार, 14 अगस्त 2011

स्वतंत्रता दिवस : प्रभा तिवारी

आज विदेशी की सत्ता से,
मुक्त हुए थे भारत वासी.
आज छुटी थी युग युग की, 
पहनाई भारत माँ की गांसी.

कोटि कोटि बलिदान युगों के,
आज पर्व बन सफल हुए थे.
अपने को असहाय समझने
वाले मन सब सबल हुए थे.

आज वही है पुण्य पर्व,
पंद्रह अगस्त जो कहलाता.
आज दिखा था लाल किले पर,
अपना तिरंगा लहराता.

आज उसी की वर्ष गाँठ है,
आओ हम सब मिल गायें.
प्यारा भारतवर्ष हमारा,
चिर स्वतंत्र कहलायें.

प्रभा तिवारी
भोपाल.

शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

रक्षा बंधन : प्रभा तिवारी

लो रक्षा बंधन फिर आया,
भारत के हर भाई बहिन के 
उर आनंद समाया.
लो रक्षा बंधन फिर आया.

यह त्यौहार बहिन भाई का,
सुन्दर राखी और मिठाई का.
ढेरों खुशियाँ संग में लाया,
लो रक्षा बंधन फिर आया.

नये नये कपड़े पहनेंगे,
गहने भी कुछ नये मिलेंगे.
इसी लिये तो सबको भाया,
लो रक्षा बंधन फिर आया.

भैया दीदी घर जायेंगे,
अपने घर लेकर आयेंगे.
इसने सब का मिलन कराया,
लो रक्षा बंधन फिर आया.

सब मिल कर नाचें गायेंगे,
यह सुख साल बाद पायेंगे.
हंसते गाते सबने मनाया,
लो रक्षा बंधन फिर आया.

यह प्रति वर्ष सदा ही आये,
हम सब हिल मिल इसे मनायें.
प्रभु से सब ने ये ही माँगा,
सादर शीश नवाया,
लो रक्षा बंधन फिर आया.


मंगलवार, 2 अगस्त 2011

अच्छे बच्चे कौन ? - प्रभा तिवारी

अच्छे बच्चे वही कहाते,
सबको मीठी बात सुनाते.

जल्दी सोवें, जल्दी जागें,
उठकर प्रभु को शीश नवावें.

हंसकर सबको करें नमस्ते,
काम करें सब हंसते हंसते.

कुछ लेने की जिद  नहीं करते,
गन्दा बोलना बुरा समझते.

बात बड़ों की कभी न टालें,
जो मिल जाए हंस कर खालें.

पढ़ते समय मन लगा पढ़ते,
खेल-खेल में कभी न लड़ते.

अच्छी राह पर आगे बढ़ते,
ऊँचे ऊँचे सदा ही  चढ़ते.

मात पिता की आज्ञा मानें,
उनको ही जग अच्छा मानें.

बच्चो ! तुम सब ऐसे बन जाओ,
जाति देश का नाम बढ़ाओ.

प्रभा तिवारी
भोपाल

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...