बैठा उसे पेड़ पर लेकर.
खाऊँगा अब इसे स्वाद से,
धीरे धीरे, मजे ले लेकर.
एक लोमड़ी ने जब देखा,
रोटी देख के वो ललचायी.
कैसे यह रोटी मैं पाऊं,
उसने उसकी जुगत लगायी.
मेरे सुन्दर प्यारे भैया,
तुम कितना मीठा गाते हो.
सब गाते जंगल में बेसुर,
तुम ही बस अच्छा गाते हो.
कौआ हुआ फूल कर कुप्पा,
जब उसने ये सूनी प्रशंसा.
बुद्धि बंद हो गयी उसकी,
समझ न पाया उसकी मंशा.
गाने को जैसे ही मुंह खोला,
नीचे गिरी चोंच से रोटी.
भाग गयी लेकर के लोमड़ी,
बोली बुद्धि तुम्हारी मोटी.
झूठी तारीफ़ से बचना सीखो,
अपनी कमियों को पहचानो.
चापलूस हैं बहुत यहाँ पर,
उनकी बातों का मतलब जानो.
समझ न पाया उसकी मंशा.
गाने को जैसे ही मुंह खोला,
नीचे गिरी चोंच से रोटी.
भाग गयी लेकर के लोमड़ी,
बोली बुद्धि तुम्हारी मोटी.
झूठी तारीफ़ से बचना सीखो,
अपनी कमियों को पहचानो.
चापलूस हैं बहुत यहाँ पर,
उनकी बातों का मतलब जानो.