शुक्रवार, 18 नवंबर 2011
मंगलवार, 8 नवंबर 2011
तितली रानी
तितली रानी, तितली रानी,
इतने रंग कहाँ से लाती.
उड़ती फिरती फूल फूल पर,
सुन्दरता है सबको भाती.
नीली पीली लाल गुलाबी,
कितने रंगों में तुम होती.
उन प्यारे रंगों के ऊपर,
सुन्दर है चितकारी होती.
अपनी सुन्दरता के कारण,
तुमहो इस उपवन की रानी.
चटकीले प्यारे रंग इतने,
जिनकी नहीं कोई भी सानी.
तुमसे बात चाहता करना,
क्यों तुम दूर दूर उड़ जाती.
मैं तो दोस्त चाहता बनना,
मुझे देख तुम क्यों ड़र जाती.
सदस्यता लें
संदेश (Atom)