मंगलवार, 8 मई 2012

अंगूर खट्टे हैं (काव्य-कथा)

एक लोमड़ी भूखी प्यासी,
घूम रही थी इधर उधर.
बाग एक अंगूरों का था 
आया उसको तभी नज़र.

पके, घने अंगूर थे  ऊंचे,
देख उन्हें था मन ललचाया.
अपने पैरों पर वह उछली,
पंजा उन तक पहुँच न पाया.

बार बार की उछल कूद से
भूख प्यास थी और बढ गयी.
पहुँच न पायी अंगूरों तक,
थक कर उसकी आस गुम गयी.

खट्टे अंगूरों की खातिर,
समय व्यर्थ में यहां गंवाया.
अंगूरों को खट्टा कह कर,
था निराश मन को समझाया.

काम अगर ताकत से बाहर,
नहीं काम में दोष निकालो.
दोष दूसरों को देने से पहले,
बेहतर अपनी सीमा पहचानो.

कैलाश शर्मा 

15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर,सार्थक एवं संदेशआत्मक रचना जो कभी खुद भी पढ़ी थी। आज दुबारा पढ़कर बहुत अच्छा लगा।समय मिले आपको तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/

    जवाब देंहटाएं
  2. कल 09/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  3. बहुत सुंदर .... कहानी को काव्य रूप देना विलक्षण कार्य है ॥

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  4. बहुत ही सार्थक और ग्यान वर्धक बाल कविता.....

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  5. बहुत ही अच्छी कविता है....
    ज्ञान वर्धक:-)

    जवाब देंहटाएं
  6. काम अगर ताकत से बाहर,
    नहीं काम में दोष निकालो.
    दोष दूसरों को देने से पहले,
    बेहतर अपनी सीमा पहचानो.
    Waaahh bahut hi achcha

    जवाब देंहटाएं
  7. खट्टे अंगूरों की खातिर,
    समय व्यर्थ में यहां गंवाया.
    अंगूरों को खट्टा कह कर,
    था निराश मन को समझाया.

    काम अगर ताकत से बाहर,
    नहीं काम में दोष निकालो.
    दोष दूसरों को देने से पहले,
    बेहतर अपनी सीमा पहचानो.
    बाल प्रज्ञा संवर्धन करता बोध गीत सामयिक, सार्वकालिक .
    कृपया यहाँ भी पधारें -
    सावधान :पूर्व -किशोरावस्था में ही पड़ जाता है पोर्न का चस्का
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

    यहाँ भी -
    बुधवार, 9 मई 2012
    शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर

    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  8. पञ्च तंत्र की कथाओं सा ज्ञान बांटतीं इन बाल कथाओं का काव्य रूपांतरण कविता पाठ के रूप में पाठ्य क्रमों में जगह बनाए तो यह राज्य विशेष के लिए जो ऐसी पहल करेगा गौरव का विषय होगा .बेहद खूबसूरत रचनाएं रच रहें हैं आप .कहानी की कहानी कविता की कविता तू इन वन .
    कृपया यहाँ भी पधारें -
    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  9. पञ्च तंत्र की कथाओं सा ज्ञान बांटतीं इन बाल कथाओं का काव्य रूपांतरण कविता पाठ के रूप में पाठ्य क्रमों में जगह बनाए तो यह राज्य विशेष के लिए जो ऐसी पहल करेगा गौरव का विषय होगा .बेहद खूबसूरत रचनाएं रच रहें हैं आप .कहानी की कहानी कविता की कविता तू इन वन .
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    शनिवार, 12 मई 2012
    क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस -जेंडर ?
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    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुन्दर लिखा है, सुन्दर रचना!


    माँ के लिए ये चार लाइन

    ऊपर जिसका अंत नहीं,
    उसे आसमां कहते हैं,
    जहाँ में जिसका अंत नहीं,
    उसे माँ कहते हैं!

    ****************
    माँ है मंदिर मां तीर्थयात्रा है,
    माँ प्रार्थना है, माँ भगवान है,
    उसके बिना हम बिना माली के बगीचा हैं!

    संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी

    आपको मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..
    आपका
    सवाई सिंह{आगरा }

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  11. यह बोध कथा मनुष्य को संभावनाओं में जीने की सीमाएं दिखाती है .संभावनाओं में आप जी नहीं सकते .सीमाओं में जीना चाहिए व्यक्ति को अपनी .इस का मतलब यह नहीं है अलभ्य के लिए प्रयत्न न किया जाए ,सीमाओं का रेखांकन भी किया जाए .

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  12. के बारे में महान पोस्ट "अंगूर खट्टे हैं (काव्य-कथा)"

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