सोमवार, 18 जून 2012

वर्षा रानी जल्दी आओ

बहुत सताया है गर्मी ने
वर्षा रानी जल्दी आओ.


ताप रहा सूरज सुबह से,
बेचारी धरती है जलती.
पशु पक्षी बेचैन धूप में,
अब तो वर्षा लेकर आओ.


पौधे सूख रहे बगिया में,
पानी क्यारी में कुछ डालें.
पानी में कुछ देर खेलते,
तुम काले बादल ले आओ.


छुट्टी बीत रही हैं सारी,
घर में ही हैं कैद हो गये.
दया करो अब बच्चों पर,
वर्षा रानी आ भी जाओ.


नाचेंगे मयूर स्वागत में,
बाग बगीचे हर्षायेंगे.
खेलेंगे बारिस में हम सब,
इंतज़ार न और कराओ.



बहुत सताया है गर्मी ने
वर्षा रानी जल्दी आओ.


कैलाश शर्मा 



मंगलवार, 5 जून 2012

आओ पर्यावरण बचायें

(विश्व पर्यावरण दिवस पर)


आओ पर्यावरण बचायें,
धरती माँ का क़र्ज़ चुकायें.


सब कुछ पाया धरती माँ से,
बदले में क्या दिया है हमने?
कुदरत की सौगात के बदले,
दूषित आँचल किया है हमने.


नदियों के निर्मल पानी में
बहा गन्दगी अपनी हमने.
गंगा यमुना को दूषित कर
दिया विनाश निमंत्रण हमने.


जंगल काट रहे हैं सारे,
बाँध बनाते हैं नदियों पर.
आसमान छूती इमारतें
बोझ बढाती हैं धरती पर.


अब भी समय, सुधारो गलती,
समय हाथ से निकल न जाये.
करो विकास, मगर यह सोचो,
कर्म तुम्हारा, न धरा मिटाये.


कैलाश शर्मा 
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