बुधवार, 31 अक्तूबर 2012

किसान और सांप (काव्य-कथा)

अपने बंज़र खेत देख कर 
एक किसान दुखी होता था.
पूरी मेहनत करने पर भी, 
कुछ भी न पैदा होता था.

अपने खेत में उस किसान ने 
एक दिन सांप की बांबी देखी.
नागराज को यदि खुश कर दूं,
शायद किस्मत जग जायेगी.

एक कटोरा दूध से भर कर
उसने वहां रखा रात को.
एक स्वर्ण मुद्रा थी देखी 
लेने गया सुबह जब उसको.

रोज कटोरा दूध का रखता 
सुबह स्वर्ण मुद्रा वह पाता.
हुई गरीबी दूर थी उसकी 
छूट गया दुर्दिन से नाता.

एक बार वह गया शहर को
एक ज़रूरी काम को करने.
अपने बेटे से कह कर के 
एक कटोरा दूध का रखने.

रख कर लडका दूध कटोरा,
लेने सुबह जो पहुँचा उसको.
देख स्वर्ण मुद्रा बरतन में 
बहुत आश्चर्य हुआ था उसको.

बहुत स्वर्ण मुद्रा होंगी बांबी में,
लालच उसके मन में आया.
कैसे एक साथ पाऊं उन सब को,
यह विचार था मन में आया. 

दूध कटोरे को लेकर के
गया दूसरे दिन बांबी पर.
करने लगा इंतज़ार सांप का 
छुपकर के थोड़ी दूरी पर.

जैसे नाग निकल कर आया,
उस पर वार किया लाठी से. 
नाग राज ने क्रोधित हो कर 
काट लिया लडके को फन से.

घायल सांप गया बांबी में,
जान गयी लडके की विष से.
क्रियाकर्म मृत लडके का 
किया गांव वालों ने मिल के.

जब किसान गांव को लौटा
हुआ बहुत दुखी बात जानकर.
लेकर के वह दूध कटोरा 
पहुंचा नाग राज की बांबी पर.

हाथ जोड़ कर करी प्रार्थना 
मेरे बच्चे को माफ़ है करदो.
नाग राज फ़िर उससे बोले 
समझो भाग्य खेल है इसको.

दोष न लडके का या मेरा,
लालच बना मृत्यु का कारण.
मेरे विष से उसका मरना,
भाग्य में बस बनना था कारण. 

भाग्य लिखा है मिटा न पाते,
जो होना है वह होकर रहता.
हिम्मत रखो ह्रदय में अपने 
नहीं भाग्य पर है बस चलता.

कैलाश शर्मा 

मंगलवार, 16 अक्तूबर 2012

धोबी का गधा (काव्य-कथा)

एक धोबी के पास गधा था,
कपडे लेकर घाट पर जाता.
लेकिन गरीब होने के कारण,
भर पेट न खाना वह दे पाता.

भूख और कमजोरी कारण,
गिरा राह में घाट से आते.
बहुत दुखी होकर के धोबी,
घर को चला पोटली उठाके.

चलते हुए राह में उसने 
एक शेर को सोते देखा.
डर से लगा कांपने धोबी
न बचने का रस्ता देखा.

खड़ा रहा वह डर के मारे,
कोई न हरकत करी शेर ने.
थोड़ी देर में हिम्मत करके
आगे बढ़ा वह शेर देखने.

सांस नहीं चल रही शेर की,
डरते डरते उसे छुआ था.
हिला नहीं शेर बिल्कुल भी
वह तो कब का मरा हुआ था.

था शैतान दिमाग से धोबी,
एक उपाय दिमाग में आया.
भूखा नहीं अब गधा मरेगा,
शेर खाल गर उसको पहनाया.

चाकू लेकर बढ़ा वो आगे,
उसने उसकी खाल निकाली.
शेर खाल को फ़िर धोबी ने
अपने गधे के ऊपर डाली.

छोड़ दिया फ़िर गधे को उसने
एक खेत में लेजाकर के. 
पहली बार गधे ने खायी
फसल खेत में जी भर कर के.

हर रोज रात गधे को धोबी
शेर खाल की पहना देता.
और फसल खाने को उसको
किसी खेत में छोड़ था देता.

सभी किसान दुखी होते थे 
खेतों को बरबाद देख कर.
डर से कुछ न कर पाते थे,
अपने खेतों में शेर देख कर.

पूनम की चांदनी रात में,  
गधा चर रहा था खेत में.
दूर कहीं से एक गधी का 
ढेंचू ढेंचू स्वर पड़ा कान में.

रोक न पाया गधा स्वयं को 
ढेंचू ढेंचू कर लगा रेंकने.
सुनकर के आवाज गधे की 
छुपे किसान आगये घेरने.

डंडों से की खूब पिटाई,
गधा गिर गया फ़िर जमीन पर.
इतनी हुई पिटाई उसकी
निकल गयी थी जान वहीं पर.

सुबह वहाँ जब धोबी आया,
उसने मरा गधे को पाया.
दुखी हुआ यह देख के धोबी
अपनी करनी पर पछताया.

अगर दूसरे की वस्तु को 
धोखे से उपयोग करोगे.
अंत हमेशा बुरा ही होगा,
अपनी वस्तु भी खोओगे.

कैलाश शर्मा 
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