शुक्रवार, 14 जून 2013

बारिस धरती का जीवन है

घनघोर घटायें जब आतीं,
धरती खुशियों से हर्षाती.
मन मयूर नाचने लगता,
जब बारिस की बूँदें आती.

बहता पानी जब गलियों में,
बच्चे आकर छप छप करते.
कागज़ की कश्ती जब बहती,
ख़्वाबों में कितने शहर गुज़रते.

पेड़ नहा कर के बारिस में,
हरे हरे पत्तों से सजते.
वर्षा रानी के स्वागत में,
नृत्य मयूर खुशी से करते.

बारिस धरती का जीवन है,
किसान आस से तकते हैं.
जब खेतों में बूँदें गिरतीं हैं,
खुशियों से नाचने लगते हैं.

बारिस में आओ सब भीगें,
मौसम का आनंद उठायें.
मम्मी से फिर कहेंगे जाकर,
गरम पकोड़े हमें खिलायें.

....कैलाश शर्मा 

22 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर मनमोहक शव्दों से सजी आपकी ये अभिव्यक्ति ......बेहतरीन पंक्तियां ............


    पेड़ नहा कर के बारिस में,
    हरे हरे पत्तों से सजते.
    वर्षा रानी के स्वागत में,
    नृत्य मयूर खुशी से करते.

    बारिस धरती का जीवन है,
    किसान आस से तकते हैं.
    जब खेतों में बूँदें गिरतीं हैं,
    खुशियों से नाचने लगते हैं.

    जवाब देंहटाएं
  2. बचपन की बड़ी शिद्दत से याद दिला दी आपने ! बहुत मनभावन रचना ! हम भी आतुरता से बारिश के लिये स्वागतोत्सुक हैं !

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  3. पढ़ कर लगा जैसे सच मुच ही बारिश हो रही हो ..बहुत सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  4. बहता पानी जब गलियों में,
    बच्चे आकर छप छप करते.
    कागज़ की कश्ती जब बहती,
    ख़्वाबों में कितने शहर गुज़रते.

    बहुत प्यारी कविता ..

    जवाब देंहटाएं
  5. बारिश धरती का जीवन है ,बदल धरती का घूँघट है .जल चक्र को समझाता है ,बादल मन को भाता है बढ़िया बाल गीत .

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  6. आज ही वारिश में पकौड़े खाए हैं :)

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  7. मम्मी से फिर कहेंगे जाकर,
    गरम पकोड़े हमें खिलायें

    इस पार्टी में तो सब शामिल होना चाहेंगे

    जवाब देंहटाएं
  8. बारिस में आओ सब भीगें,
    मौसम का आनंद उठायें.
    मम्मी से फिर कहेंगे जाकर,
    गरम पकोड़े हमें खिलायें.
    बहुत ही प्यारी रचना !

    जवाब देंहटाएं

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