आज तिरंगा हम फहरायें,
आजादी का ज़श्न मनायें।
आजादी का ज़श्न मनायें।
कितने हुए शहीद देश पर,
कितने फांसी पर थे लटके।
याद करें हम उन वीरों को,
हुए अमर देश पर मिट के।
कितने फांसी पर थे लटके।
याद करें हम उन वीरों को,
हुए अमर देश पर मिट के।
नहीं समझ पाये ग़र कीमत,
इन वीरों के बलिदानों की।
व्यर्थ हमारा जीवन होगा,
लाज बचा न पाये माँ की।
इन वीरों के बलिदानों की।
व्यर्थ हमारा जीवन होगा,
लाज बचा न पाये माँ की।
हाथ पकड़ कर बढ़ो सभी का,
कहीं न कोई पीछे रह जाये।
कुछ तक सीमित न विकास हो,
तब असली आजादी आये।
...कैलाश शर्मा