शनिवार, 27 सितंबर 2014

मित्रता का फल (काव्य-कथा)

जंगल में था एक कंगारू,
साथ में बच्चे के रहता था।
अपने मृदु स्वभाव के कारण,
सभी जानवरों में वो प्रिय था।

एक दिन दौड़ रहा कंगारू,
एक पेड़ से जा टकराया।
चोट लगी थी पैर में गहरी,
कंगारू था उठ न पाया।

दर्द भरी चीख सुन कर के,
हुए इकट्ठे सभी जानवर।
देख चोट गंभीर है उसकी,
दुखी हो गए सभी जानवर।

कर के जांच था भालू बोला,
यह इलाज न मेरे बस का।
लाना होगा अब इलाज को,
हमें डॉक्टर कोई शहर का।

तब रामू खरगोश था बोला,
उसका दोस्त शहर में रहता।
सीजर कुत्ते का है मालिक
एक डॉक्टर शहर में रहता।

रामू दौड़ शहर में पहुंचा,
सीजर को उसने बतलाया।
सुनकर बात सभी सीजर ने
मालिक से उसको मिलवाया।

बहुत दयालु उसका मालिक,
उसने अपना बैग उठाया।
सीजर, बेटे, खरगोश साथ में,
वह तुरंत जंगल में आया।

देख चोट उसकी था डॉक्टर
तुरत इलाज लगा था करने।
कुछ ही पल में दवा से उसकी
कंगारू फ़िर लगा था चलने।

प्यार मोहब्बत से जो रहते,
उनके दुःख में सब साथी हैं।
कितनी भी हों बड़ी मुसीबत,
पल भर में सब मिट जाती हैं।

शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

शिक्षक दिवस

            **शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को सादर नमन**

बच्चे तो कच्ची मिट्टी हैं,
शिक्षक उससे मूरत गढ़ते।
नमन आज उन गुरुओं को,
मूरत में सद्गुण रंग भरते।

केवल अक्षर ज्ञान न देते,
आगे बढ़ने की राह बताते।
जीवन के इस अंधकार में,
सदा ज्ञान का दीप जलाते।

प्रेम, धैर्य, सद्गुण हों जिसमें,
वह सच्चा शिक्षक है होता।
स्नेह और मृदुता हो जिसमें,
बच्चों को है वह प्रिय होता।

शिक्षक का सम्मान जो करते,
वे सदैव उनके प्रिय बन रहते।
पूज्य हों शिक्षक जिस समाज में,
अज्ञान, अशिक्षा वहां न रहते।


...कैलाश शर्मा 
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