शनिवार, 27 सितंबर 2014

मित्रता का फल (काव्य-कथा)

जंगल में था एक कंगारू,
साथ में बच्चे के रहता था।
अपने मृदु स्वभाव के कारण,
सभी जानवरों में वो प्रिय था।

एक दिन दौड़ रहा कंगारू,
एक पेड़ से जा टकराया।
चोट लगी थी पैर में गहरी,
कंगारू था उठ न पाया।

दर्द भरी चीख सुन कर के,
हुए इकट्ठे सभी जानवर।
देख चोट गंभीर है उसकी,
दुखी हो गए सभी जानवर।

कर के जांच था भालू बोला,
यह इलाज न मेरे बस का।
लाना होगा अब इलाज को,
हमें डॉक्टर कोई शहर का।

तब रामू खरगोश था बोला,
उसका दोस्त शहर में रहता।
सीजर कुत्ते का है मालिक
एक डॉक्टर शहर में रहता।

रामू दौड़ शहर में पहुंचा,
सीजर को उसने बतलाया।
सुनकर बात सभी सीजर ने
मालिक से उसको मिलवाया।

बहुत दयालु उसका मालिक,
उसने अपना बैग उठाया।
सीजर, बेटे, खरगोश साथ में,
वह तुरंत जंगल में आया।

देख चोट उसकी था डॉक्टर
तुरत इलाज लगा था करने।
कुछ ही पल में दवा से उसकी
कंगारू फ़िर लगा था चलने।

प्यार मोहब्बत से जो रहते,
उनके दुःख में सब साथी हैं।
कितनी भी हों बड़ी मुसीबत,
पल भर में सब मिट जाती हैं।

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया कविता।

    प्यार मोहब्बत से जो रहते,
    उनके दुःख में सब साथी हैं।
    कितनी भी हों बड़ी मुसीबत,
    पल भर में सब मिट जाती हैं।
    सुंदर पंक्तियां।

    सादर धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (28-09-2014) को "कुछ बोलती तस्वीरें" (चर्चा मंच 1750) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    शारदेय नवरात्रों की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  3. सार्थक सीख देती बहुत ही सुन्दर काव्यकथा !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर शिक्षाप्रद बाल रचना |
    नवरात्रों की हार्दीक शुभकामनाएं !
    शुम्भ निशुम्भ बध - भाग ५
    शुम्भ निशुम्भ बध -भाग ४

    जवाब देंहटाएं
  5. मस्त कहानी काव्य के माध्यम से ... बच्चों को पसंद आने वाली है ये ...

    जवाब देंहटाएं

  6. मान्यवर,
    दिनांक 18-19 अक्टूबर को खटीमा (उत्तराखण्ड) में
    बाल साहित्य संस्थान द्वारा
    अन्तरराष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
    जिसमें एक सत्र बाल साहित्य लिखने वाले
    ब्लॉगर्स का रखा गया है।
    हिन्दी में बाल साहित्य का सृजन करने वाले
    इसमें प्रतिभाग करने के लिए 10 ब्लॉगर्स को
    आमन्त्रित करने की
    जिम्मेदारी मुझे सौंपी गयी है।
    कृपया मेरे ई-मेल
    roopchandrashastri@gmail.com
    पर अपने आने की स्वीकृति से
    अनुग्रहीत करने की कृपा करें।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
    सम्पर्क- 07417619828, 9997996437

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  7. प्यार मोहब्बत से जो रहते,
    उनके दुःख में सब साथी हैं।
    कितनी भी हों बड़ी मुसीबत,
    पल भर में सब मिट जाती हैं।
    ​हमने बाल काव्य भी खूब पढ़ा है और कहानियाँ भी दोनों का मिश्रण है ! आपने कहानी को काव्य रूप में न केवल पठनीय बल्कि रोचक भी बना दिया है आदरणीय श्री कैलाश शर्मा जी ! बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं

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