छब्बीस जनवरी आयी.
पूरे भारत ने मिलकर
गणतंत्र की खुशी मनायी.
यह धरती माँ हम सबकी
जीवन से भी प्यारी है.
इसकी मिट्टी की खुशबू
सोंधी जग से न्यारी है.
आज़ाद करने इसको
कोटिक बलिदान दिये हैं.
शत-शत प्रणाम हम सबका,
उन पूर्वज जन के लिये है.
इसकी रक्षा को हम सब
मिलकर तैयार रहेंगे.
तन जाये चाहे पन जाये
बस यह प्रण आज करेंगे.
बालक न कहो हम सब हैं
भारत भूमि के वीर.
अवसर पर चला दिखा देंगे
अभिमन्यु जैसे तीर.
! जय हिंद !
प्रभा तिवारी
भोपाल