दे कर के सम्मान गुरु को,
जीवन में है सफल बनोगे.
गुरु में श्रद्धा के
द्वारा ही
श्रेष्ठ ज्ञान
अधिकारी होगे.
बिना गुरु के ज्ञान
कहाँ है,
बिना गुरु भगवान
कहाँ है?
चढ़ने सीढ़ी सफलता की
गुरु जैसी सोपान
कहाँ है?
जो भी पाठ पढ़ाते
शिक्षक,
जीवन राह सुगम हैं
करते.
उनकी शिक्षा हैं जो
मानते,
वे हैं जीवन में आगे
बढ़ते.
शिक्षक का सम्मान
जहाँ न,
वह समाज अवनति को
जाता.
बीज सु-संस्कारों के बो कर,
वह शिक्षक पूजनीय बन
जाता.
....कैलाश शर्मा