एक गाँव में एक दर्जी था,
वह सब के कपड़े था सिलता.
उसी गाँव में एक हाथी था,
उस रस्ते से रोज गुजरता.
दोनों में थी बहुत दोस्ती,
एक दूजे से बहुत प्यार था.
दर्जी उसको केला देता,
हाथी जब नदिया जाता था.
एक दिन दर्जी गया शहर को,
अपने बेटे को काम सौंप कर.
था बेटा शैतान प्रकृति का,
प्रेम भाव न उसके अंदर.
हाथी आया जब दुकान पर,
उसने अपनी सूंड बढ़ाई.
लडके को शैतानी सूझी,
उसने उसमें सुई चुभाई.
दर्द हुआ हाथी को लेकिन,
उसने गुस्सा नहीं दिखाया.
जब हाथी नदिया से लौटा,
सूंड में गन्दा पानी लाया.
हाथी जब पहुंचा दूकान पर,
उसने पानी वहाँ गिराया.
कपड़े सभी हो गये गन्दे,
शैतानी पर लड़का पछताया.
गर दोगे तुम दुःख दूजे को,
तो बदले में दुःख पाओगे.
बोओगे तुम बीज जिस तरह,
वैसा ही तुम फल पाओगे.
यह कार्य सच में खूब प्रभावित कर रहा है |
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए लिखना, लगातार लिखना --
बधाई ||
प्रेरक - शास्त्री जी और शर्मा जी
(1)
आजा वापस प्यारे बचपन,
पचपन बड़ा सताए रे |
गठिया की पीड़ा से ज्यादा
मन-गठिया तडपाये रे |
भटक-भटक के अटक रहा ये-
जिधर इसे कुछ भाये रे |
आजा वापस प्यारे बचपन,
पचपन बड़ा सताए रे ||1||
(2)
बच्चों के संग अपना जीवन,
मस्ती भरा बिताया रे |
रोज साथ में खेलकूद कर
नीति-नियम सिखलाया रे |
माता वैरी, शत्रु पिता जो
बच्चे नहीं पढाया रे |
तन्मयता से एक-एक को
डिग्री बड़ी दिलाया रे ||2||
(3)
गये सभी परदेस कमाने
विरह-गीत मन गाये रे |
रूप बदल के आजा बचपन
बाबा बहुत बुलाये रे |
गठिया की पीड़ा से ज्यादा
मन-गठिया तडपाये रे |
आजा वापस प्यारे बचपन,
पचपन बड़ा सताए रे ||3||
bahut hi sundar
जवाब देंहटाएंaak salah- ayhe pe vijet link rake tke hindhi may lekh sake
vidhya
बचपन में पढ़ी कहानी को कविता के रुप में पढ़कर बहुत अच्छा लगा...बचपन याद दिलाने के लिए धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर.
जवाब देंहटाएंसादर
अरे वाह ! बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंबचपन में पढ़ी कहानी को कविता के रुप में पढ़कर बहुत अच्छा लगा| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंकहानियों को गीत के रूप में ढालना भी एक कला है ..सुन्दर बालगीत
जवाब देंहटाएंकाव्य कथा सुन्दर और बच्चों के लिये ग्राह्य हैं . बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंhttp://vandana-nanhepakhi.blogspot.com
बहुत सुन्दर कविता है! आपके इस ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगता है क्यूंकि मैं अपने बचपन के दिनों को याद करती हूँ !
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
हाथी और दरजी की कहानी को काव्य रूप में बेहतरीन तरीके से बुना है आपने.
जवाब देंहटाएंसुन्दर बाल कविता.
इस कहानी को प्राइमरी क्ष में गद्य की विधा में पढ़े थे, अब काव्य की रोचक एवं आकर्षक विधा में पढकर बहुत अलग सी विशिष्ट अनुभूति हुई. कुछ देर के लिए तो उस काशस में ही पहुच गए, पुरानी यादों में खो गए . जब मन वहाँ से हटा तो जो नवीनता आपने जोड़ी है, कथ्य की अभिवृद्धि के लिए उसकी रोचकता में खो गया, फिर तुलना करने लगा. कुल मिलाकर इस कविता ने चंचलता पैदा कर और उस काल में भ्रमण करा दिया जिसे जीवन का सर्वोत्तम काल कहा जाता है. आभार ..बहुत-बहुत आभार..
जवाब देंहटाएंआदरणीय कैलाश चन्द्र शर्मा जी हार्दिक अभिवादन -बहुत आनंद आया आप ने हमें फिर से प्राइमरी में पहुंचा दिया बाल जीवन का मजा ही अलग है कहानी को कविता में ढाला सुन्दर कृत्य-जागरण जंक्शन में आप का साथ पा और हर्ष हुआ --धन्यवाद
जवाब देंहटाएंभ्रमर का दर्द और दर्पण में समर्थन के लिए आभार
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http://surenrashuklabhramar5satyam.blogspot.com
-शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का झरोखा -दर्द-ए -दिल
गर दोगे तुम दुःख दूजे को,
तो बदले में दुःख पाओगे.
बोओगे तुम बीज जिस तरह,
वैसा ही तुम फल पाओगे.