तितली रानी, तितली रानी,
इतने रंग कहाँ से लाती.
उड़ती फिरती फूल फूल पर,
सुन्दरता है सबको भाती.
नीली पीली लाल गुलाबी,
कितने रंगों में तुम होती.
उन प्यारे रंगों के ऊपर,
सुन्दर है चितकारी होती.
अपनी सुन्दरता के कारण,
तुमहो इस उपवन की रानी.
चटकीले प्यारे रंग इतने,
जिनकी नहीं कोई भी सानी.
तुमसे बात चाहता करना,
क्यों तुम दूर दूर उड़ जाती.
मैं तो दोस्त चाहता बनना,
मुझे देख तुम क्यों ड़र जाती.
बहुत सुन्दर कविता...बचपन के दिन याद आ गए|
जवाब देंहटाएंतितली पकड़ना शायद बाल मन का सबसे लोक प्रिये खीलों में से एक हैं मुझे भी बहुत अच्छा लगता था बचपन कि याद दिलाती प्यारी सी बाल कविता ....
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअपनी सुन्दरता के कारण,
जवाब देंहटाएंतुमहो इस उपवन की रानी.
चटकीले प्यारे रंग इतने,
जिनकी नहीं कोई भी सानी.
bahut sundar rachna
बचपन याद दिलाती सुन्दर बाल कविता...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता...
जवाब देंहटाएंरंग बिरंगी तितिलियाँ मुझको है भाति और आपकी इस बाल कविता पढ़कर बचपन के दिनों को याद करती !
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.com/
रंग बिरंगी तितलियाँ और बहुत प्यारी कविता
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लिखा है सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत ही प्यारी और खुबसूरत बाल कविता
जवाब देंहटाएंSuch a cute poem!!!
जवाब देंहटाएंकुछ रंग बिरंगे अहसास भर गए...बेहद उम्दा रचना.. धन्यवाद सर.. :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता वचपन के दिन भी क्या दिन थे ..इधर उधर दौड़ाती थी ...मन कहता पंख हमारे भी ...
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
बहुत बढ़िया कविता!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बाल कविता
जवाब देंहटाएंक्या कहने
तितली रानी की बात बडी निराली है। मस्त अभिव्यक्ति।
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