एक सियार भूल कर रस्ता
गलती से आ गया शहर में.
देख शहर की भीड़ भाड़ को
डर जागा था उसके मन में.
नज़र पडी जब कुत्तों की,
उसके ऊपर लगे भोंकने.
डर कर के जब वह भागा,
उसके पीछे लगे दौडने.
थका सियार भाग भाग कर,
कुत्ते पीछे सियार था आगे.
तभी दिखाई दिया उसे था
बड़ा हौद एक घर के आगे.
कूदा सियार था उसी हौद में
कुत्ते उस तक पहुँच न पाये.
थोड़ी देर भौंक कर उस पर,
लौट गये जिस रस्ते थे आये.
नीला रंग था भरा हौद में,
निकल सियार हौद से आया.
बाल धूप में सूख गये जब,
सारा शरीर था नीला पाया.
नीला अपना रंग देख कर
चालाक सियार बहुत हर्षाया.
चालाकी स्वभाव में उसके
एक विचार था मन में आया.
जंगल में सियार जब पहुंचा
सभी जानवर चोंक गये थे.
ऐसा जानवर कभी न देखा
मन में यह सब सोच रहे थे.
जाकर वह सभी से बोला,
ईश्वर ने भेजा है मुझको.
मैं अब हूँ राजा जंगल का
जैसा कहूँ है करना तुमको.
ईश्वर का आदेश समझ कर
सबने सियार को राजा माना.
बड़े मज़े कट रही ज़िंदगी
मिलता भरपेट रोज था खाना.
देख चाँद एक दिन सियार थे,
हुआ हुआ सब लगे थे करने.
नीला सियार मन रोक न पाया
हुआ हुआ वह लगा था करने.
चोंक गये तब सभी जानवर
नीले सियार की पोल खुल गयी.
झपट पड़े सब उसके ऊपर
पल भर में ही मृत्यु हो गयी.
धोखे का फल कुछ दिन मीठा,
जिस दिन सत्य सामने आता.
जो कुछ मिलता है धोखे से,
नष्ट वो पल भर में हो जाता.
कैलाश शर्मा
गलती से आ गया शहर में.
देख शहर की भीड़ भाड़ को
डर जागा था उसके मन में.
नज़र पडी जब कुत्तों की,
उसके ऊपर लगे भोंकने.
डर कर के जब वह भागा,
उसके पीछे लगे दौडने.
थका सियार भाग भाग कर,
कुत्ते पीछे सियार था आगे.
तभी दिखाई दिया उसे था
बड़ा हौद एक घर के आगे.
कूदा सियार था उसी हौद में
कुत्ते उस तक पहुँच न पाये.
थोड़ी देर भौंक कर उस पर,
लौट गये जिस रस्ते थे आये.
नीला रंग था भरा हौद में,
निकल सियार हौद से आया.
बाल धूप में सूख गये जब,
सारा शरीर था नीला पाया.
नीला अपना रंग देख कर
चालाक सियार बहुत हर्षाया.
चालाकी स्वभाव में उसके
एक विचार था मन में आया.
जंगल में सियार जब पहुंचा
सभी जानवर चोंक गये थे.
ऐसा जानवर कभी न देखा
मन में यह सब सोच रहे थे.
जाकर वह सभी से बोला,
ईश्वर ने भेजा है मुझको.
मैं अब हूँ राजा जंगल का
जैसा कहूँ है करना तुमको.
ईश्वर का आदेश समझ कर
सबने सियार को राजा माना.
बड़े मज़े कट रही ज़िंदगी
मिलता भरपेट रोज था खाना.
देख चाँद एक दिन सियार थे,
हुआ हुआ सब लगे थे करने.
नीला सियार मन रोक न पाया
हुआ हुआ वह लगा था करने.
चोंक गये तब सभी जानवर
नीले सियार की पोल खुल गयी.
झपट पड़े सब उसके ऊपर
पल भर में ही मृत्यु हो गयी.
धोखे का फल कुछ दिन मीठा,
जिस दिन सत्य सामने आता.
जो कुछ मिलता है धोखे से,
नष्ट वो पल भर में हो जाता.
कैलाश शर्मा
बहुत ही प्रेरक बाल कविता है सर!
जवाब देंहटाएंसादर
अच्छी सिख देती बहुत बेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएं:-)
aanand aa gaya padhkar ..badhai
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...रंगे सियार की पोल खुल गई...सीख देती कविता|
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ...कहानी को बहुत खूबसूरती से काव्य में कहा है
जवाब देंहटाएंधोखे का फल कुछ दिन मीठा,
जवाब देंहटाएंजिस दिन सत्य सामने आता.
जो कुछ मिलता है धोखे से,
नष्ट वो पल भर में हो जाता.
सुंदर कविता.
badhiya bal kavita
जवाब देंहटाएंनीले सियार की कहानी सुनी थी आज उसे कविता रूप में पढ़कर आनंद आ गया...
जवाब देंहटाएंधोखे का फल कुछ दिन मीठा,
जवाब देंहटाएंजिस दिन सत्य सामने आता.
जो कुछ मिलता है धोखे से,
नष्ट वो पल भर में हो जाता. लेकिन भैया भेड़ ये भोलू ,नेताओं को समझ न आता ,
रंगे श्यार हैं सबके सब ये ,भोलू कहे तोड़ दो नाता !
बढ़िया बोध काव्य कथा .
बुधवार, 5 सितम्बर 2012
जीवन शैली रोग मधुमेह २ में खानपान ,जोखिम और ....
धोखे का फल कुछ दिन मीठा,
जवाब देंहटाएंजिस दिन सत्य सामने आता.
जो कुछ मिलता है धोखे से,
नष्ट वो पल भर में हो जाता.
अच्छी श्रृंखला काव्य कथाओं की
बहुत सुंदर काव्य कथा....
जवाब देंहटाएंएक कहानी को खुबसूरत काव्यात्मक रूप देने के लिए बधाई बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंकल 15/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंपिछली टिप्पणी मे तारीख की गलत सूचना देने के लिये खेद है
जवाब देंहटाएं----------------------------
कल 16/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
इस कविता को पढ कर बहुत मजा आया |
जवाब देंहटाएंआशा
बचपन याद आ गया..... :))
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