एक धोबी के पास गधा था,
कपडे लेकर घाट पर जाता.
लेकिन गरीब होने के कारण,
भर पेट न खाना वह दे पाता.
भूख और कमजोरी कारण,
गिरा राह में घाट से आते.
बहुत दुखी होकर के धोबी,
घर को चला पोटली उठाके.
चलते हुए राह में उसने
एक शेर को सोते देखा.
डर से लगा कांपने धोबी
न बचने का रस्ता देखा.
खड़ा रहा वह डर के मारे,
कोई न हरकत करी शेर ने.
थोड़ी देर में हिम्मत करके
आगे बढ़ा वह शेर देखने.
सांस नहीं चल रही शेर की,
डरते डरते उसे छुआ था.
हिला नहीं शेर बिल्कुल भी
वह तो कब का मरा हुआ था.
था शैतान दिमाग से धोबी,
एक उपाय दिमाग में आया.
भूखा नहीं अब गधा मरेगा,
शेर खाल गर उसको पहनाया.
चाकू लेकर बढ़ा वो आगे,
उसने उसकी खाल निकाली.
शेर खाल को फ़िर धोबी ने
अपने गधे के ऊपर डाली.
छोड़ दिया फ़िर गधे को उसने
एक खेत में लेजाकर के.
पहली बार गधे ने खायी
फसल खेत में जी भर कर के.
हर रोज रात गधे को धोबी
शेर खाल की पहना देता.
और फसल खाने को उसको
किसी खेत में छोड़ था देता.
सभी किसान दुखी होते थे
खेतों को बरबाद देख कर.
डर से कुछ न कर पाते थे,
अपने खेतों में शेर देख कर.
पूनम की चांदनी रात में,
गधा चर रहा था खेत में.
दूर कहीं से एक गधी का
ढेंचू ढेंचू स्वर पड़ा कान में.
रोक न पाया गधा स्वयं को
ढेंचू ढेंचू कर लगा रेंकने.
सुनकर के आवाज गधे की
छुपे किसान आगये घेरने.
डंडों से की खूब पिटाई,
गधा गिर गया फ़िर जमीन पर.
इतनी हुई पिटाई उसकी
निकल गयी थी जान वहीं पर.
सुबह वहाँ जब धोबी आया,
उसने मरा गधे को पाया.
दुखी हुआ यह देख के धोबी
अपनी करनी पर पछताया.
अगर दूसरे की वस्तु को
धोखे से उपयोग करोगे.
अंत हमेशा बुरा ही होगा,
अपनी वस्तु भी खोओगे.
कैलाश शर्मा
कपडे लेकर घाट पर जाता.
लेकिन गरीब होने के कारण,
भर पेट न खाना वह दे पाता.
भूख और कमजोरी कारण,
गिरा राह में घाट से आते.
बहुत दुखी होकर के धोबी,
घर को चला पोटली उठाके.
चलते हुए राह में उसने
एक शेर को सोते देखा.
डर से लगा कांपने धोबी
न बचने का रस्ता देखा.
खड़ा रहा वह डर के मारे,
कोई न हरकत करी शेर ने.
थोड़ी देर में हिम्मत करके
आगे बढ़ा वह शेर देखने.
सांस नहीं चल रही शेर की,
डरते डरते उसे छुआ था.
हिला नहीं शेर बिल्कुल भी
वह तो कब का मरा हुआ था.
था शैतान दिमाग से धोबी,
एक उपाय दिमाग में आया.
भूखा नहीं अब गधा मरेगा,
शेर खाल गर उसको पहनाया.
चाकू लेकर बढ़ा वो आगे,
उसने उसकी खाल निकाली.
शेर खाल को फ़िर धोबी ने
अपने गधे के ऊपर डाली.
छोड़ दिया फ़िर गधे को उसने
एक खेत में लेजाकर के.
पहली बार गधे ने खायी
फसल खेत में जी भर कर के.
हर रोज रात गधे को धोबी
शेर खाल की पहना देता.
और फसल खाने को उसको
किसी खेत में छोड़ था देता.
सभी किसान दुखी होते थे
खेतों को बरबाद देख कर.
डर से कुछ न कर पाते थे,
अपने खेतों में शेर देख कर.
पूनम की चांदनी रात में,
गधा चर रहा था खेत में.
दूर कहीं से एक गधी का
ढेंचू ढेंचू स्वर पड़ा कान में.
रोक न पाया गधा स्वयं को
ढेंचू ढेंचू कर लगा रेंकने.
सुनकर के आवाज गधे की
छुपे किसान आगये घेरने.
डंडों से की खूब पिटाई,
गधा गिर गया फ़िर जमीन पर.
इतनी हुई पिटाई उसकी
निकल गयी थी जान वहीं पर.
सुबह वहाँ जब धोबी आया,
उसने मरा गधे को पाया.
दुखी हुआ यह देख के धोबी
अपनी करनी पर पछताया.
अगर दूसरे की वस्तु को
धोखे से उपयोग करोगे.
अंत हमेशा बुरा ही होगा,
अपनी वस्तु भी खोओगे.
कैलाश शर्मा
:)bahut achhi rachna
जवाब देंहटाएंअगर दूसरे की वस्तु को
जवाब देंहटाएंधोखे से उपयोग करोगे.
अंत हमेशा बुरा ही होगा,
अपनी वस्तु भी खोओगे.
बुरा काम का बुरा नतीजा
सही बात..
जवाब देंहटाएंसुन्दर सिख देती रचना..
:-)
bahut sundar baal rachna ..
जवाब देंहटाएंNavraatri ki haardik shubhkamnayen!
सही सीख देती सुन्दर बाल रचना...
जवाब देंहटाएंप्रेरक कथा।
जवाब देंहटाएंअगर दूसरे की वस्तु को
जवाब देंहटाएंधोखे से उपयोग करोगे.
अंत हमेशा बुरा ही होगा,
अपनी वस्तु भी खोओगे.
खुबसूरत कहानी
मजेदार कविता .... सुंदर सन्देश देती
जवाब देंहटाएंएक गधे के गधेपन से बेचारा गधा मारा गया. बढ़िया प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंsach me majedaaar:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सीख देती अच्छी बाल रचना जय श्री राधे
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
bahut sunder vichar hai aapke
जवाब देंहटाएं