एक जंगल में घना पेड़ था,
उसके कोटर में तीतर रहता.
उसका कौआ ख़ास दोस्त था,
वह जुआर के खेत में रहता.
कौए से मिलने की इच्छा से,
तीतर उड़ कर गया खेत पर.
एक खरगोश ने पीछे आकर,
कब्ज़ा किया उसके कोटर पर.
जब तीतर घर आया शाम को,
कोटर में खरगोश को देखा.
तीतर बोला तुम बाहर निकलो,
नहीं जानते है यह घर मेरा?
जब होने लगी बहस दोनों में,
हुए इकट्ठे जंगल के जानवर.
बोले खरगोश से बाहर आओ,
यह तो है तीतर का ही घर.
बोला खरगोश जो घर में रहता,
उसका ही वह घर कहलाता.
मैं बैठा हूँ इस कोटर के अन्दर,
इस पर मेरा हक़ बन जाता.
सभी विचार विमर्श कर के भी
वे नहीं कोई निर्णय कर पाये.
तब सलाह दी बुज़ुर्ग हिरन ने,
निष्पक्ष व्यक्ति को ढूँढा जाये.
तीतर व खरगोश चल दिये,
किसी निष्पक्ष की तलाश में.
उनको मिली जंगली बिल्ली,
जो बैठी थी सुनसान राह में.
तुम क्या हमारा न्याय करोगी,
बिल्ली से बोले वे दोनों जाकर.
बिल्ली बोली मैं ऊँचा सुनती,
कहो बात तुम पास में आकर.
जैसे ही दोनों पास में आये,
बिल्ली झपट पडी दोनों पर.
पकड़ उन्हें अपने हाथों से,
खाया दोनों को खुश होकर.
जो साथी, हमदर्द तुम्हारे,
उनकी राय सदा ही मानो.
अजनबियों की राय हमेशा
सोच समझ कर ही मानो.
कैलाश शर्मा
यथार्थ-
जवाब देंहटाएंपता नहीं कब कौन लूट ले-
सादर |
शिक्षा-प्रद |
simply superb. Like it.
जवाब देंहटाएंbahut achhi seekh
जवाब देंहटाएंअपने समाज में भी ऐसे बिल्ली जैसे भेड़िये बहुत है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया काव्य कथा
जवाब देंहटाएंविवेक से काम लेने की सीख देती रचना !
जवाब देंहटाएंbahut achchhi seekh..
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha....
जवाब देंहटाएंसुंदर सीख देती रचना
जवाब देंहटाएं..बेहतरीन ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और संदेशात्मक बाल रचना!
जवाब देंहटाएंकविता अच्छी है, एक गुजारिश है इस कविता कों एक बार अपनी आवाज में गा कर रिकोर्ड करें, रिकोर्ड करने के लिए आप अपने मोबाइल का प्रयोग भी कर सकते हैं, यदि आप कम्प्यूटर पर रिकोर्ड करना चाहें तो Audacity से रिकोर्ड कर लीजिए
जवाब देंहटाएंबाल सुलभ कविता
जवाब देंहटाएंसुंदर काव्यमय संदेश.
जवाब देंहटाएं✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥
♥सादर वंदे मातरम् !♥
♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿
जो साथी, हमदर्द तुम्हारे,
उनकी राय सदा ही मानो.
अजनबियों की राय हमेशा
सोच समझ कर ही मानो.
अच्छा उपदेश देती सुंदर बाल रचना के लिए आभार
आदरणीय भाईजी कैलाश चंद्र जी !
हार्दिक मंगलकामनाएं …
लोहड़ी एवं मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर !
राजेन्द्र स्वर्णकार
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सार्थक सन्देश देती बाल काव्य कथा .
जवाब देंहटाएंबढ़िया काव्य बोध कथा सहज सरल सन्देश .आपकी सद्य टिपण्णी का शुक्रिया भाई साहब .
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर ,भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंसार्थक सन्देश और बच्चों के लिए मजेदार भी
जवाब देंहटाएंthnks , aap mere blog par aae -------------or mujhe yaha tk aane ka asta mila / bade jo bachcho k liye likhte hn ,aap unme se hn /ye jankar bahut khushi hui -----------------mae kuch share karungi / abhi takniki taur par mujhe kafi seekhna h /thnks agai
जवाब देंहटाएंमित्रवर,
जवाब देंहटाएंबिटिया की शादी के कामों में अति व्यस्तता, फिर कई दिनों की बीमारी से कल ही तो निबटा हूँ |आज कुछ स्वस्ठ अनुभव कर के ब्लोप्ग पर उपस्थित होने का प्रयास है |
बाल-कथा के माध्यम, से बच्चों को सीख |
शिक्षा गन्ने की तरह,बाल-काव्य की ईख!!
सौदेद्श्य एवं मार्मिक बाल काव्य कथा .सचेत करती बाल मन को .
जवाब देंहटाएंअपनों को ही अपना जानो ,
जवाब देंहटाएंअजनबियों को मत पहचानों .
sateek salaah ek masoom si rachna ke madhyam se ........badhai
जवाब देंहटाएंपिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
जवाब देंहटाएंकई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बाल दिवस विशेषांक बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं यानि बच्चे किसी से कम नहीं मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !