एक गधा और एक लोमड़ी
उनमें बहुत दोस्ती गहरी.
रोज़ रात को दोनों थे जाते
एक खेत में खाने ककड़ी.
चलता रहा बहुत दिन ऐसे
रात्रि पूर्णिमा की फिर आयी.
पूर्ण चन्द्रमा चमक रहा था
और सफ़ेद चांदनी थी छायी.
देख चाँद की मस्त चांदनी
बोला गधा मुझे है गाना.
तुम्हें लोमड़ी सुनना होगा
मेरा सुन्दर मीठा गाना.
बहुत लोमड़ी ने समझाया
गाने की गलती न करना.
खेत का मालिक आजायेगा
हम को पड़ जाएगा पिटना.
बहुत मना किया लोमड़ी ने
लेकिन गधे ने एक न मानी.
चलते हुए लोमड़ी बोली
मैं बाहर करती हूँ निगरानी.
शुरू किया रेंकना जैसे ही,
डंडा लेकर मालिक आया.
करी धुनाई गधे की उसने,
नहीं वहां से भाग वो पाया.
चला गया खेत का मालिक
उसे अधमरा वहाँ छोड़कर.
पहुंचा पास लोमड़ी के वह
धीरे धीरे चलता लंगड़ाकर.
जब देखा लोमड़ी ने उसको
कहा न तुमने बात थी मानी.
अपनी मर्ज़ी का करने से
तुमको मार पडी है खानी.
अगर मित्र की सही राय को
ज़िद के कारण नहीं मानता.
कष्ट उठाना पडता उसको
आखिर में पछताना पडता.
कैलाश शर्मा
उनमें बहुत दोस्ती गहरी.
रोज़ रात को दोनों थे जाते
एक खेत में खाने ककड़ी.
चलता रहा बहुत दिन ऐसे
रात्रि पूर्णिमा की फिर आयी.
पूर्ण चन्द्रमा चमक रहा था
और सफ़ेद चांदनी थी छायी.
देख चाँद की मस्त चांदनी
बोला गधा मुझे है गाना.
तुम्हें लोमड़ी सुनना होगा
मेरा सुन्दर मीठा गाना.
बहुत लोमड़ी ने समझाया
गाने की गलती न करना.
खेत का मालिक आजायेगा
हम को पड़ जाएगा पिटना.
बहुत मना किया लोमड़ी ने
लेकिन गधे ने एक न मानी.
चलते हुए लोमड़ी बोली
मैं बाहर करती हूँ निगरानी.
शुरू किया रेंकना जैसे ही,
डंडा लेकर मालिक आया.
करी धुनाई गधे की उसने,
नहीं वहां से भाग वो पाया.
चला गया खेत का मालिक
उसे अधमरा वहाँ छोड़कर.
पहुंचा पास लोमड़ी के वह
धीरे धीरे चलता लंगड़ाकर.
जब देखा लोमड़ी ने उसको
कहा न तुमने बात थी मानी.
अपनी मर्ज़ी का करने से
तुमको मार पडी है खानी.
अगर मित्र की सही राय को
ज़िद के कारण नहीं मानता.
कष्ट उठाना पडता उसको
आखिर में पछताना पडता.
कैलाश शर्मा
सबसे प्यारा मीठा कोना - और अच्छी सीख
जवाब देंहटाएंअपनी अच्छी आदत पर भी, समय जगह माहौल देखकर |
जवाब देंहटाएंइस्तेमाल अकल का करके, अंकुश लगा दबाना बेहतर |
कथा गधे की यही सिखाये, यही कहे चालाक लोमड़ी-
जो भी ऐसा नहीं करेगा, गधा बनेगा गा-कर पिटकर ||
सुन्दर काव्यमय टिप्पणी के लिये आभार..
हटाएंमजेदार था गधे का गाना.
जवाब देंहटाएंलेकिन मौक़ा सही चुना ना.
चोरी से जो खाए खाना.
अंत पड़े उसको पछताना.
..... कथा का था यही फ़साना.
आपके द्वारा हमेशा बाल कथाएँ बहुत सहज गीति में प्रस्तुत होती हैं... आनंद आता है पढ़कर.
बहुत बहुत आभार...
हटाएंबेहतरीन और प्रेरक कविता।
जवाब देंहटाएंसादर
बेहतरीन शिक्षा...
जवाब देंहटाएंसीख न मानी इसलिए तो गधा को गधा कहते हैं...रोचक प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंअगर मित्र की सही राय को
जवाब देंहटाएंज़िद के कारण नहीं मानता.
कष्ट उठाना पडता उसको
आखिर में पछताना पडता.
मित्र वही जो सही सीख दे,
ram ram bhai
बृहस्पतिवार, 20 सितम्बर 2012
माँ के गर्भाशय का बेटियों में सफल प्रत्यारोपण
रोचक प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंbahut sundar...
जवाब देंहटाएंसुंदर सीख देती कविता ...
जवाब देंहटाएंरोचक और शिक्षाप्रद रचना, काश आजकल के बच्चे पढें ये सब भी!
जवाब देंहटाएंअगर मित्र की सही राय को
जवाब देंहटाएंज़िद के कारण नहीं मानता.
कष्ट उठाना पडता उसको
आखिर में पछताना पडता.
मित्र बोध की कहानी पंचतंत्र की याद दिलाती
भारी पड़ती है सदा , बेमौसम की तान
जवाब देंहटाएंसच्चा-साथी दे अगर,राय उचित तो मान
राय उचित तो मान ,गधे ने ककड़ी खाई
अड़ा रहा जिद्द पर , हो गई खूब पिटाई
चतुर लोमड़ी जान , रही थी दुनियादारी
बेमौसम की तान , सदा पड़ती है भारी ||
लाज़वाब!
हटाएंBahut acchchhi aur shikshaprad kavya katha.....
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूबसूरती से कथा को काव्य मेँ पिरोया है ...
जवाब देंहटाएंकल 23/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
कहानी सुनी थी
जवाब देंहटाएंअब कविता भी पढ़ ली
सादर
रोचक काव्य के जरिये
जवाब देंहटाएंसुन्दर और अच्छी सिख देती रचना..
:-)
बच्चे काव्य के माध्यम से बड़ी से बड़ी गम्भीर
जवाब देंहटाएंबात को भी सहज में ही सीख लेते हैं। बच्चों
को सीख देने वाली सुन्दर रचना।
आनन्द विश्वास।
heheheheh:)
जवाब देंहटाएंbehtareen..
print out nikal raha hoon, apne bete ke liye:)
प्यारी कविता...
जवाब देंहटाएंअगर मित्र की सही राय को
जवाब देंहटाएंज़िद के कारण नहीं मानता.
कष्ट उठाना पडता उसको
आखिर में पछताना पडता.
कहानी और कविता का मजा एक साथ मिलता है
बाल ह्रदय को भाने वाली
जवाब देंहटाएंहर मन को बहलाने वाली
लगे प्रिय नानी के जैसे
ज्ञान मिले खर्चे बिन पैसे
कविता में है एक कहानी
बातें कहती बड़ी सायानी
लगे बड़ों को भी यह अच्छी
राह दिखाये एकदम सच्ची
आदरणीय कैलाश शर्मा जी आपके इस सत्कर्म को नमन
एक से बढ़ कर एक सुन्दर सुन्दर प्यारे न्यारे गीत पढ़ कर मन आनंदित हुवा
आपके इस सृजन को आभार
ये बोध कथाएं जब भी पढ़ो ताज़ी लगतीं हैं .ऊपर से काव्य सौन्दर्य .आपकी गेस्ट पोस्ट पर टिपण्णी के ली धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंअगर मित्र की सही राय को
जवाब देंहटाएंज़िद के कारण नहीं मानता.
कष्ट उठाना पडता उसको
आखिर में पछताना पडता.
सुन्दर सन्देश अच्छा रूपांतरण ....बाल मन खुश हुआ
भ्रमर ५