देता था फल तुम्हें सदां ही,
और तुम्हारे सर पर छाया.
नमक हरामी क्यों तुमने की,
क्यों तुमने मुझको कटवाया.
गर कटवाते रहे पेड़ सभी तुम,
कहाँ बनायेंगे पक्षी अपना घर.
कहाँ तुम्हारा झूला होगा,
कहाँ सुनोगे तुम कोयल के स्वर.
करो प्रतिज्ञा पेड़ लगायें,
सभी एक अपने आँगन में.
सभी और होगी हरियाली,
खुशियाँ आयेंगी जीवन में.
और तुम्हारे सर पर छाया.
नमक हरामी क्यों तुमने की,
क्यों तुमने मुझको कटवाया.
गर कटवाते रहे पेड़ सभी तुम,
कहाँ बनायेंगे पक्षी अपना घर.
कहाँ तुम्हारा झूला होगा,
कहाँ सुनोगे तुम कोयल के स्वर.
करो प्रतिज्ञा पेड़ लगायें,
सभी एक अपने आँगन में.
सभी और होगी हरियाली,
खुशियाँ आयेंगी जीवन में.
बहुत सुन्दर जागरूक्तापूर्ण है आप की रचना
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी
सबको सन्मति दे भगवान
जवाब देंहटाएं:)
बहुत जागरूकता पूर्ण लेख के लिए धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंप्रकृति ही जीवन है. अगर हम अपने वनों की रक्षा नहीं करेंगे तो एक दिन हमारे बच्चों को वृक्ष शायद इतिहास की वास्तु वन जाए.
जवाब देंहटाएंsundar bal kavita ke liye sir bahut bahut badhai.
जवाब देंहटाएंबहुत ही संदेशात्मक बाल रचना ..बच्चे कल का भविष्य हैं ..वृक्षों का भविष्य ओर जीवन का भविष्य एक दूसरे से जुड़े हाँ...संवेदनाएं अंकुरित होनी आवश्यक हैं....
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना के लिए कोटि कोटि बधाईयां एवं आभार .....
आपकी खुबसूरत रचना ने हमे अपनी पुरानी रचना याद दिला दी !
जवाब देंहटाएंइंसानों से बड़ा पेड़
मगर ज़मी से जुड़ा पेड़ !
इंसानों की खातिर फिर
कितने तुफानो से लड़ा पेड़ !
धरती की भूमि पर .............
चित्र सरीखे खड़ा पेड़ !
जाने किसके इंतजार मै ............
सड़क किनारे खड़ा पेड़ !
बहुत ही संदेशात्मक बाल रचना .
जवाब देंहटाएंकभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपने एक नज़र डालें .
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ।
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