है भगवान प्रार्थना तुमसे,
बड़ा करो मुझको ज़ल्दी से.
समझ हमें बच्चा हर कोई,
कुछ मन का करने नहीं देते.
बहुत खेल चुके,पढ़ने बैठो,
टाइम टेबल तय कर देते.
लैपटॉप डैडी कब्ज़े में,
कार्टून हम देख न पाते.
टीवी पर दादी का कब्ज़ा,
नहीं रिमोट हाथ में आते.
आज शाम को क्या खाना है,
यह डैडी से पूछा जाता.
मुझको क्या अच्छा लगता है,
कभी नहीं है पूछा जाता.
हरेक चीज़ पर है पाबंदी,
खानी पड़ती डांट सभी से.
मुझे शिकायत है तुम सब से,
करूँ शिकायत मैं पर किससे?
बहुत सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंबहुत नाइंसाफी है भाई ...सच ही शिकायत तो होगी ही न ...बहुत अच्छी कविता
जवाब देंहटाएंजायज लगी बच्चों की शिकायत| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता!
जवाब देंहटाएंबधाई हो शर्मा जी!
बहुत अच्छी कविता........
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता बहुत अच्छे भाव
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