रिमझिम रिमझिम बारिस आती,
मन को कितनी ठंडक लाती.
मुरझाये पत्ते हरियाते,
उपवन में पौधे लहराते.
उपवन में पौधे लहराते.
होजाती जीवंत प्रकृति है,
जब काले बादल छा जाते.
जंगल में है मोर नाचता,
भालू अपना ढोल बजाता.
कोयल मीठा गीत सुनाती,
हाथी भी है तान मिलाता.
आओ हम बारिस में भीगें,
झूलों पर लें ऊंची पींगें.
झूलों पर लें ऊंची पींगें.
डर कर खड़े हुए क्यों अंदर,
वैसे भरते इतनी डींगें.
वर्षा गर्मी से है राहत लायी,
हर मन में खुशियाँ हैं छायी.
नया नया सा है सब लगता,
जैसे प्रकृति नहा कर आयी.
बहुत सुन्दर बालकविता ..वर्षा की सारी खूबियां बता दी हैं ..
जवाब देंहटाएंप्यारी है बारिश की कविता...
जवाब देंहटाएंसुन्दर बालकविता
जवाब देंहटाएंकरीब १५ दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
जवाब देंहटाएंआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
बारिश की खूबसूरती का वर्णन करती सुन्दर बाल कविता|
जवाब देंहटाएंआओ हम बारिस में भीगें,
जवाब देंहटाएंझूलों पर लें ऊंची पींगें.
डर कर खड़े हुए क्यों अंदर,
वैसे भरते इतनी डींगें.
AAO HUM BAARISH ME BHEEGEN...........
WAAHHHHHHHHHH
BAS NAAV CHALAANA BAAKI RAH GAYA....
BACHPAN KE DIN YAAD DILAATI NANHI AUR PYARI SI KAVITA .......
bina barish ke barish ka anand aa gaya ....ubu
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता। बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता! शानदार प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबधाई
बहुत सुन्दर कविता! शानदार प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंआज 21/01/2013 को आपकी यह पोस्ट (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
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