बुधवार, 8 जून 2011

खरगोश

दो खरगोश भाग कर आये,
बोले कुत्तों से हमें बचाओ.
मैंने कहा डरो मत बिलकुल,
मुझको पूरी बात बताओ.

भूल गये हैं घर का रस्ता,
चलते हुए शहर में आये.
बच्चे  करने लगे परेशां,
कुत्ते उनने पीछे दौड़ाये.

डरता नहीं किसी से भी मैं,
मैंने कुत्तों को मार भगाया.
थे खरगोश  बहुत  ही भूखे,
उन्हें खिलाने पालक लाया.

मैंने  कहा  साथ  चलता  हूँ,
छोड़ आऊंगा घर मैं तुमको.
वे बोले घर हमको न जाना,
अपने घर में रख लो हमको.

मैंने  उनका  घर  बनवाया,
जिसमें खुश होकर वे रहते.
घास और गाज़र खा कर के,
उछल  कूद  हैं  करते  रहते.

17 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर है ये बाल कविता…….

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  2. बहुत बढ़िया सर!

    आपका स्वागत है "नयी पुरानी हलचल" पर...यहाँ आपके पोस्ट की है हलचल...जानिये आपका कौन सा पुराना या नया पोस्ट है यहाँ पर कल ...........
    नयी-पुरानी हलचल

    जवाब देंहटाएं
  3. एक बच्चे के मनोभावों के अनुरूप रची गई कविता!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया है ये बाल कविता|

    जवाब देंहटाएं
  5. प्यारी कविता …बहुत ही सुन्दर है

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर और प्यारी कविता! बचपन के दिन याद आ गए!

    जवाब देंहटाएं
  7. जियो बच्चे ऐसे ही भाव हमेशा रखना।

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  8. तुम्हारे जैसी ही प्यारी है तुम्हारी प्रस्तुति .

    .बहुत सुंदर . मेरी शुभकामनाएँ चूहेमल का देखो खेल

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  9. बच्चों के लिए बहुत प्यारी रचना।
    बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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