दो खरगोश भाग कर आये,
बोले कुत्तों से हमें बचाओ.
मैंने कहा डरो मत बिलकुल,
मुझको पूरी बात बताओ.
भूल गये हैं घर का रस्ता,
चलते हुए शहर में आये.
बच्चे करने लगे परेशां,
कुत्ते उनने पीछे दौड़ाये.
डरता नहीं किसी से भी मैं,
मैंने कुत्तों को मार भगाया.
थे खरगोश बहुत ही भूखे,
उन्हें खिलाने पालक लाया.
मैंने कहा साथ चलता हूँ,
छोड़ आऊंगा घर मैं तुमको.
वे बोले घर हमको न जाना,
अपने घर में रख लो हमको.
मैंने उनका घर बनवाया,
जिसमें खुश होकर वे रहते.
घास और गाज़र खा कर के,
उछल कूद हैं करते रहते.
बहुत सुन्दर है ये बाल कविता…….
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत है "नयी पुरानी हलचल" पर...यहाँ आपके पोस्ट की है हलचल...जानिये आपका कौन सा पुराना या नया पोस्ट है यहाँ पर कल ...........
नयी-पुरानी हलचल
एक बच्चे के मनोभावों के अनुरूप रची गई कविता!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया है ये बाल कविता|
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा बालकविता!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता......
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी बाल कविता
जवाब देंहटाएंप्यारी कविता....
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारा है खरगोश।
जवाब देंहटाएं---------
बाबूजी, न लो इतने मज़े...
चलते-चलते बात कहे वह खरी-खरी।
प्यारी कविता …बहुत ही सुन्दर है
जवाब देंहटाएंप्यारी रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और प्यारी कविता! बचपन के दिन याद आ गए!
जवाब देंहटाएंजियो बच्चे ऐसे ही भाव हमेशा रखना।
जवाब देंहटाएंतुम्हारे जैसी ही प्यारी है तुम्हारी प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएं.बहुत सुंदर . मेरी शुभकामनाएँ चूहेमल का देखो खेल
बच्चों के लिए बहुत प्यारी रचना।
जवाब देंहटाएंबधाई।
सुन्दर और बेहतरीन कविता..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता। मेरे बेटे को भी खरगोश बहुत पसंद है।
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