छुट्टी में नानी घर जाते,
नये नये हैं दोस्त बनाते.
दिन भर करते हैं हम मस्ती,
फिर भी डांट नहीं है पड़ती.
नाना हमको खूब घुमाते,
चॉकलेट, कुल्फी हैं खाते.
रोज नए पकवान बनाती,
नानी हमको खूब खिलाती.
नाना हमें पार्क ले जाते,
नये नये हैं खेल खिलाते.
सुनते हैं हम रोज कहानी,
बहुत प्यार करती है नानी.
गर्मी कितनी खुशियाँ लाती,
जवाब देंहटाएंपढ़ने से छुट्टी हो जाती.
छुट्टी में नानी घर जाते,
नये नये हैं दोस्त बनाते.
सुन्दर और बेहतरीन कविता...
balak man ki bhavnao ka sunder chitran kiya hai aapne
जवाब देंहटाएंसुन्दर और बेहतरीन कविता|
जवाब देंहटाएंबेहद प्यारी कविता.
जवाब देंहटाएं.
.सादर
बहुत सुंदर बाल कविता
जवाब देंहटाएंमज़ा आ गया कविता पढ़कर,
जवाब देंहटाएंकविता बहुत सुहानी है!
इस दुनिया में सबसे अच्छी,
दादी या फिर नानी है!
अरे वाह!
जवाब देंहटाएंआपने तो बिल्कुल बच्चों के मन की बात कह दी है!
बहुत ही सुन्दर है ये बाल कविता…….
जवाब देंहटाएंगर्मी के मौसम की सुंदर कविता .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बाल कविता
जवाब देंहटाएंआप भी सादर आमंत्रित हैं
एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति का परिचय
ये मेरी पहली पोस्ट है
उम्मीद है पसंद आयेंगी
Wah chuttyo ke din fir yaad aa gye..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर बेहद प्यारी कविता......
जवाब देंहटाएंगर्मीयोके छुट्टी का मज़ा ही कुछ और है ...बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंmujhe to aaj bhi ye garmi bas isi liye achchhi lagti hai
जवाब देंहटाएंsunder kavita
saader
rachana
बहुत सुंदर बाल कविता,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
ये तमाम बाल कवितायेँ बहुत ही मनभावन हैं.
जवाब देंहटाएंआप ने मेरे ब्लाग पर २८ मई और ०२ जून को जो शुभकामनाएं व्यक्त कीं उनके लिए बहुत-बहुत आभार.
बहुत सुंदर और प्यारी बाल कविता! मैं तो अपने बचपन के दिनों को याद करने लगी!
जवाब देंहटाएंbahut sunder balkavita hai.........
जवाब देंहटाएंv nc sr :)
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