अच्छे बच्चे वही कहाते,
सबको मीठी बात सुनाते.जल्दी सोवें, जल्दी जागें,
उठकर प्रभु को शीश नवावें.
हंसकर सबको करें नमस्ते,
काम करें सब हंसते हंसते.
कुछ लेने की जिद नहीं करते,
गन्दा बोलना बुरा समझते.
बात बड़ों की कभी न टालें,
जो मिल जाए हंस कर खालें.
पढ़ते समय मन लगा पढ़ते,
खेल-खेल में कभी न लड़ते.
अच्छी राह पर आगे बढ़ते,
ऊँचे ऊँचे सदा ही चढ़ते.
मात पिता की आज्ञा मानें,
उनको ही जग अच्छा मानें.
बच्चो ! तुम सब ऐसे बन जाओ,
जाति देश का नाम बढ़ाओ.
प्रभा तिवारी
भोपाल
बच्चों को एक अच्छा बनने की सीख देती यह कविता बहुत अच्छी लगी।
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कल 03/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत सुन्दर शिक्षाप्रद बालकविता!
जवाब देंहटाएंअच्छे बच्चे की निशानियाँ अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंसब का आदर करते हम,
जवाब देंहटाएंखेल-कूद कर पढ़ते हम |
करते थोड़ी-बहुत उधम--
गुस्सा होते बाबा कम --
माँ भी रहती सदा नरम
पापा होते किन्तु गरम ||
बाबा कान-खिचाई करते --
पापा मेरे नहीं बिगड़ते ||
बहुत सुन्दर शिक्षाप्रद बालकविता|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सीख देती बाल कविता
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सीख देती बाल कविता
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंसुन्दर सीख देती हुई रचना .अंदाज काफी अच्छा लगा ......
जवाब देंहटाएंयह बहुत जरूरी है। सबसे पहले बच्चों के लिये शिक्षा-प्रद कविता। बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंमात पिता की आज्ञा मानें,
जवाब देंहटाएंउनको ही जग अच्छा मानें.
बच्चो ! तुम सब ऐसे बन जाओ,
जाति देश का नाम बढ़ाओ.
बच्चों को सीख देती प्यारी-सी कविता....
बच्चों के लिये शिक्षा-प्रद कविता।...
जवाब देंहटाएंप्रेरक कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, खूबसूरत भावाभिव्यक्ति
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