आज विदेशी की सत्ता से,
मुक्त हुए थे भारत वासी.
आज छुटी थी युग युग की,
पहनाई भारत माँ की गांसी.
कोटि कोटि बलिदान युगों के,
आज पर्व बन सफल हुए थे.
अपने को असहाय समझने
वाले मन सब सबल हुए थे.
आज वही है पुण्य पर्व,
पंद्रह अगस्त जो कहलाता.
आज दिखा था लाल किले पर,
अपना तिरंगा लहराता.
आज उसी की वर्ष गाँठ है,
आओ हम सब मिल गायें.
प्यारा भारतवर्ष हमारा,
चिर स्वतंत्र कहलायें.
प्रभा तिवारी
भोपाल.
बहुत ही प्यारी कविता।
जवाब देंहटाएंसादर
कल 15/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत सुन्दर कविता.....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर....
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 15-08-2011 को चर्चा मंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर भी होगी। सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें और बधाई
सुन्दर कविता ...स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें ..जय हिंद
जवाब देंहटाएंप्रभा तिवारी जी की बहुत सुन्दर रचना है!
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति के साथ भावपूर्ण कविता ! शानदार प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
अति सुन्दर भाव पूर्ण रचना ...शुभ कामनाएं एवं हार्दिक अभिनन्दन !!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव पूर्ण गीत...
जवाब देंहटाएंराष्ट्र पर्व की सादर बधाइयां....
बहुत ही भावनाओं से भरा देशप्रेम से ओतप्रोत गीत लिखा है आपने /सुंदर ढंग से प्रस्तुत की गई प्रस्तुति/बधाई आपको /
जवाब देंहटाएंब्लोगर्स मीट वीकली (४)के मंच पर आपका स्वागत है आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/आभार/
सुंदर भावनाओं से सजी कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी कविता।
जवाब देंहटाएंसादर