शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2011
शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2011
लालची कुत्ता (काव्य-कथा)
हड्डी मिली एक कुत्ते को,
खुशी खुशी लेकर के भागा.
उसके रस्ते में एक पुल था,
उसने उससे पानी में झांका.
उसे नज़र आयी पानी में,
एक हड्डी कुत्ते के मुंह में.
कैसे वह हड्डी भी पाऊँ,
लालच जागा उसके मन में.
जैसे ही उसने मुंह खोला,
भौंक डराने उस कुत्ते को.
हड्डी मुंह से गिरी छूट कर,
फिर अफसोस हुआ था उसको.
ज्यादा जो लालच करता है,
उसको पड़ता है पछताना.
जो तुमने मेहनत से पाया,
लालचवश न उसे गंवाना.
शुक्रवार, 7 अक्टूबर 2011
होशियार चूहा
एक था चूहा बड़ा सयाना,
हाथ न बिल्ली के वह आता.
जब भी बिल्ली कोशिश करती,
किसी युक्ति से वह बच जाता.
एक दिन बिल्ली चूहे से बोली,
कल तुम घर खाने पर आना.
चूहा बोला एक दोस्त है मेरा,
मुश्किल है उसके बिन आना.
दो दो चूहे मिल जायेंगे,
बिल्ली मन ही मन हर्षाई.
दोस्त तुम्हारे का स्वागत है,
उसको भी ले आना भाई.
लेकिन भाई बताओ इतना,
कौन दोस्त इतना पक्का है.
सबसे प्यारा दोस्त जो मेरा,
वह प्यारा सीजर कुत्ता है.
नाम सुना सीजर का उसने,
बिल्ली भागी पूरी तेजी से.
खाना खाने क्या कल आऊँ,
चूहा हँस के बोला बिल्ली से.
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