एक था चूहा बड़ा सयाना,
हाथ न बिल्ली के वह आता.
जब भी बिल्ली कोशिश करती,
किसी युक्ति से वह बच जाता.
एक दिन बिल्ली चूहे से बोली,
कल तुम घर खाने पर आना.
चूहा बोला एक दोस्त है मेरा,
मुश्किल है उसके बिन आना.
दो दो चूहे मिल जायेंगे,
बिल्ली मन ही मन हर्षाई.
दोस्त तुम्हारे का स्वागत है,
उसको भी ले आना भाई.
लेकिन भाई बताओ इतना,
कौन दोस्त इतना पक्का है.
सबसे प्यारा दोस्त जो मेरा,
वह प्यारा सीजर कुत्ता है.
नाम सुना सीजर का उसने,
बिल्ली भागी पूरी तेजी से.
खाना खाने क्या कल आऊँ,
चूहा हँस के बोला बिल्ली से.
bachhon ke liye achhi manoranjak rachna badhaie
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई ||
dcgpthravikar.blogspot.com
वाह बहुत सुंदर बाल कविता... शानदार प्रस्तुति सर :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंSUNAR KAVITAA BADHAAYEE
जवाब देंहटाएंछोटी मिन्नी को मज़ा आया , जो बड़ी रश्मि में रहती है ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बाल कविता...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बाल कविता| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
जवाब देंहटाएंअधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
अल्ले वा! बली थुन्दल तविता है...
जवाब देंहटाएंमदा आ दया...
थादल बदाई.
बहुत सुंदर कविता....
जवाब देंहटाएंलेकिन भाई बताओ इतना,
जवाब देंहटाएंकौन दोस्त इतना पक्का है.
सबसे प्यारा दोस्त जो मेरा,
वह प्यारा सीजर कुत्ता है.
शानदार प्रस्तुती।
nice one... :)
जवाब देंहटाएंबहुत खूब रचना है .चूहे की चतुराई ,बिल्ली जी को रास न आई ,सीज़र स्वान था उसका भाई .
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर प्रस्तुति. बच्चों के लिए
जवाब देंहटाएंप्रेरणा दायक विचार.
धन्यवाद.
आनन्द विश्वास.
बहुत सुन्दर एवं प्यारी रचना ! शानदार चित्र !
जवाब देंहटाएंबच्चे बड़े खुश रहते होंगे आपसे भाई जी !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !