गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

बगुला और केकड़ा (काव्य - कथा)


एक तालाब किनारे बगुला
गुमसुम बनकर खड़ा हुआ था.
कैसे पाऊँ मछली मैं सारी,
मन ही मन यह सोच रहा था.

एक केकड़ा और मछलियाँ
उस तलाब के अन्दर रहते.
रहता भरा सदां पानी से,
उसमें बड़े मजे से रहते.

गुमसुम खड़ा देख बगुले को
मछली ने था कारण पूछा.
बगुला बोला मैं हूँ ज्योतिषी,
पड़ने वाला है जल्द ही सूखा.

सुन भविष्यवाणी बगुले की,
चिंता में पड़ गयीं मछलियाँ.
बहुत केकड़े ने समझाया,
लेकिन समझी नहीं मछलियाँ.

बगुले से उनने विनती की,
उसने एक उपाय बताया.
साथ एक मछली को लेकर,
एक नया तालाब दिखाया.

वापिस आकर के मछली ने
उस तलाब की करी बढ़ाई.
जायेंगी हम सभी वहां पर 
सबने मिलक र राय बनाई.

लेकर मछली एक चोंच में,
नए तलाब में चला छोड़ने.
गया नहीं तलाब को लेकिन
पकड़ी राह दूसरी उसने.

एक पेड़ के नीचे जाकर
खाया उसने उस मछली को.
आखिर में जो बचीं हड्डियां,
वहीं फेंक दी उसने उनको.

धीरे धीरे सभी मछलियाँ
गयीं पेट बगुले के अन्दर.
बगुले ने केकड़े से पूछा
तुम को भी ले चलूँ वहां पर. 


साइज में था बड़ा केकड़ा,
नहीं चोंच में वह आ पाया.
बगुले ने तरकीब निकाली, 
अपनी गर्दन में लटकाया.

बगुला लेकर उड़ा गगन में,
पहुंचा जब वह पास पेड़ के.
शक जागा केकड़े के मन में,
पड़ी हड्डियां वहां देख के.

अपने ताकतवर पंजों से
बगुले का था गला दबाया.
जान गंवाई उस बगुले ने,
फल धोखा देने का पाया.

जैसा बोओगे बीज जमीं में,
वैसा ही तुम फल पाओगे.
बुरे काम का बुरा नतीजा
आज नहीं तो कल पाओगे.

कैलाश शर्मा 

14 टिप्‍पणियां:

  1. क्या कहने बहुत सुंदर लिखा है।

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  2. आपने मेरे ब्लॉग पर दर्शन दिए .. उसके लिए में आप का आभारी हूँ ...धन्यवाद.

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  3. जैसा बोओगे बीज जमीं में,
    वैसा ही तुम फल पाओगे.
    बुरे काम का बुरा नतीजा
    आज नहीं तो कल पाओगे....शिक्षाप्रद सार्थक प्रस्तुति...

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  4. बहुत ही अच्छी और शिक्षाप्रद काव्य-कथा है...थैंक्यू अंकल!!!

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  5. बगुला ज्योतिषी ...आजकल ऐसे बगुला भगतों की कमी नहीं है शिक्षाप्रद कहानियों को कविता में ढालकर बच्चों के लिये और भी मजेदार बना दिया आपने

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  6. आपने पुरानी कथा में नया जायका देकर मजेदार बना दिया कथा को.

    इस काव्य कथा ने मूल कथा को भी तराश दिया. आनंद आया पढ़कर.

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  7. वाह!! बगुला भगत का काव्य रूपान्तर!! ला-जवाब!!
    अपने धर्म आदि की डिंग हांकने वाले इन बगुलों से बचना चाहिए।

    जैसा बोओगे बीज जमीं में,
    वैसा ही तुम फल पाओगे.
    बुरे काम का बुरा नतीजा
    आज नहीं तो कल पाओगे.

    जवाब देंहटाएं
  8. अपने ताकतवर पंजों से
    बगुले का था गला दबाया.
    जान गंवाई उस बगुले ने,
    फल धोखा देने का पाया.

    आबालवृद्धों को सीख देतीं रचनाएं .काव्य -कहानी -बोध कथा की त्रिवेणी हैं आपकी बाल कथात्मक कवितायें .

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  9. प्राकृतिक न्याय का यह सिद्धांत बहुधा लागू होता नहीं दिखता। यदि हो सके,तो हम सब अनेक कुकृत्यों से बच जाएं।

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  10. bachpan me suni thi yah kahani aapne kavya me rachkar ise sundar banaya hai, sach hai jo jaisa bota hai vahi phal paata hai ......bahut sundar sikh hai.....

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  11. बहुत सुन्दर और शिक्षा प्रद कहानी!....आभार!

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