बुधवार, 27 अप्रैल 2011

गर्मी आयी, गर्मी आयी

    गर्मी आयी, गर्मी आयी,
स्विमिंग पूल में मस्ती छायी.

गर्मी में जब  सूरज  तपता,
ठंडा  पानी  अच्छा  लगता.
पानी  में  हम दिन भर तैरें,
नहीं निकलने का मन करता.

मछली रानी जल में रहती,
हर दम  वहां तैरती  रहती.
कोई रोकटोक नहीं है उसको,
उसको कभी न गर्मी लगती.

आओ सभी पूल में आयें,
पानी में हम धूम मचायें.
बाल गेम पानी में खेलें,
और तैर कर मज़े मनायें.

डैडी ऊंची  जम्प लगाते,
बिठा पीठ  पर हैं  तैराते.
मुझे तैरना है अब आता,
नहीं अकेले पर हम जाते.

शनिवार, 9 अप्रैल 2011

अन्ना का व्रत सफल हो गया

कोई मुझको यह समझाना,
 बाबा ने छोड़ा क्यों खाना.

मैंने जब  मम्मी  से पूछा,
उनने मुझको यह समझाया.
क्यों कुछ भूखे सो जाते हैं,
कुछ के घर दौलत की माया.

खून पसीना जिनका बहता,
वे मेहनत का फल न पाते.
जिसपर उनका सच्चा हक़ है,
बेईमान  हिस्सा खा जाते.

करते काम नहीं मेहनत से,
अपने जो  कर्तव्य भुलाते.
गलत तरह जो पैसा लाते,
वे सब  भ्रष्टाचारी  कहलाते.

अन्ना बाबा का यह प्रण है,
इस पर हम को अंकुश पाना.
जब तक होता नहीं है ऐसा,
नहीं  मुझे  है  खाना  खाना.

माँ की बात समझ में आयी,
पर क्या कर सकते हैं बच्चे?
जब तक बाबा सफल न होते,
देंगे  छोड़  दूध  सब   बच्चे.

दूध  नहीं  छोडो  तुम  बेटे,
अन्ना का व्रत सफल हो गया.
उनको मिली सफलता प्रण में,
जनता का जय घोष  हो गया.

मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

चुनमुन चुनमुन प्यारे बच्चे

चुनमुन चुनमुन प्यारे बच्चे,
होते  हैं  ये  मन  के  सच्चे.

गंगा जैसा है निर्मल मन,
यमुना  जैसा  चंचल पन.
कोई  उनको नहीं पराया,
सबसे  रखते  अपनापन.

पल भर में झगड़ा कर लेते,
दूजे  पल  हैं  गले  लगाते.
कभी  डरेंगे  चूहे  से  भी,
कभी शेर से लडने जाते.

नहीं जाति का बंधन कोई,
नहीं  धर्म  की  दीवारें.
न गोरे  काले  का  अंतर,
न  दौलत की  मीनारें.

रखें  हौसला नभ  छूने का,
और हिमालय पग के नीचे.
उड़ना  चाहें  तितली जैसा,
ऊंचे  वृक्ष भी  इनको नीचे.

रहे  सदां  कायम  भोलापन,
नहीं कलुष हो मन की शुचिता.
करें  प्रफुल्लित  सूरज जैसा,
शुभ्र  चांदनी  सी  शीतलता.
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