कोई मुझको यह समझाना,
बाबा ने छोड़ा क्यों खाना.
मैंने जब मम्मी से पूछा,
उनने मुझको यह समझाया.
क्यों कुछ भूखे सो जाते हैं,
कुछ के घर दौलत की माया.
खून पसीना जिनका बहता,
वे मेहनत का फल न पाते.
जिसपर उनका सच्चा हक़ है,
बेईमान हिस्सा खा जाते.
करते काम नहीं मेहनत से,
अपने जो कर्तव्य भुलाते.
गलत तरह जो पैसा लाते,
वे सब भ्रष्टाचारी कहलाते.
अन्ना बाबा का यह प्रण है,
इस पर हम को अंकुश पाना.
जब तक होता नहीं है ऐसा,
नहीं मुझे है खाना खाना.
माँ की बात समझ में आयी,
पर क्या कर सकते हैं बच्चे?
जब तक बाबा सफल न होते,
देंगे छोड़ दूध सब बच्चे.
दूध नहीं छोडो तुम बेटे,
अन्ना का व्रत सफल हो गया.
उनको मिली सफलता प्रण में,
जनता का जय घोष हो गया.
अन्ना हजारे जी की सफलता पर सभी बच्चों को शुभआशीष|
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया समसामयिक रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ..
जवाब देंहटाएंBahut Badhiya ...ek sunder arthpoorn baal kavita...
जवाब देंहटाएंpadkar accha laga..
जवाब देंहटाएंacchi rachna..
उनकी कोशिश का पहला कदम कामयाब हुआ ........उन्हें सलाम
जवाब देंहटाएंसमाज सुधारक अन्ना हजारे जी
जवाब देंहटाएंसार्थक आलेख, हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायक रचना!
जवाब देंहटाएंवाह सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachna.....
जवाब देंहटाएंइस जोरदार रचना के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएं............
ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?
एच.आई.वी. और एंटीबायोटिक में कौन अधिक खतरनाक?
sunder
जवाब देंहटाएंदूध नहीं छोडो तुम बेटे,
जवाब देंहटाएंअन्ना का व्रत सफल हो गया.
उनको मिली सफलता प्रण में,
जनता का जय घोष हो गया.
waah bahut sundar .
आभार इस अमर गीत के लिए !
जवाब देंहटाएंइस शमा को जलाए रखें।
जवाब देंहटाएं---------
भगवान के अवतारों से बचिए...
जीवन के निचोड़ से बनते हैं फ़लसफे़।
Beautiful and inspiring creation.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर समसामयिक रचना!
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com