चुनमुन चुनमुन प्यारे बच्चे,
होते हैं ये मन के सच्चे.
गंगा जैसा है निर्मल मन,
यमुना जैसा चंचल पन.
कोई उनको नहीं पराया,
सबसे रखते अपनापन.
पल भर में झगड़ा कर लेते,
दूजे पल हैं गले लगाते.
कभी डरेंगे चूहे से भी,
कभी शेर से लडने जाते.
नहीं जाति का बंधन कोई,
नहीं धर्म की दीवारें.
न गोरे काले का अंतर,
न दौलत की मीनारें.
रखें हौसला नभ छूने का,
और हिमालय पग के नीचे.
उड़ना चाहें तितली जैसा,
ऊंचे वृक्ष भी इनको नीचे.
रहे सदां कायम भोलापन,
नहीं कलुष हो मन की शुचिता.
करें प्रफुल्लित सूरज जैसा,
शुभ्र चांदनी सी शीतलता.
चुनमुन चुनमुन प्यारे बच्चे,
जवाब देंहटाएंहोते हैं ये मन के सच्चे.
गंगा जैसा है निर्मल मन,
यमुना जैसा चंचल पन.
कोई उनको नहीं पराया,
सबसे रखते अपनापन.
बहुत ही सुन्दर
आपकी जितनी तारीफ करू उतनी कम इस पोस्ट को ढेर सारा प्यार।
!!शुभ रात्रि !!
जवाब देंहटाएंबच्चे तो होते ही है मन के सच्चे|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता| धन्यवाद|
बहुत सुंदर कविता ....
जवाब देंहटाएंकितनी प्यारी ..सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंवाह वाह , आनंद आ गया , बच्चों से भला कोई नहीं इनसे बहादुर कोई नहीं ! बड़े होकर लगता है बहुत कुछ खो दिया हमने ! हार्दिक शुभकामनायें आपको
जवाब देंहटाएंऊंचे वृक्ष भी इनको नीचे...
ठीक कर लीजियेगा
aadarniy sir
जवाब देंहटाएंbahut hi achhi lagi aapki yah pyari rachna .
bachpan to bachpan hi hota hai .kash!bachpan sa swarup hamesha bana rahta to kitna hi achha hota.
bahut abhut badhai
poonam
aanand aa gaya aapki ye rachna padh kar. ab tak padha tha ki aap bacchon par bahut acchhi kavitayen likhte hain aaj jaan bhi liya.
जवाब देंहटाएंsunder rachna ke liye aapko badhai.
जवाब देंहटाएंmain bal sahitya me p h d kr rahi hun
aapse sahyog ki ummeed rakhti hun.
गंगा जैसा है निर्मल मन,
जवाब देंहटाएंयमुना जैसा चंचल पन.
कोई उनको नहीं पराया,
सबसे रखते अपनापन.
बहुत ही सुन्दर
पल भर में झगड़ा कर लेते,
जवाब देंहटाएंदूजे पल हैं गले लगाते.
कभी डरेंगे चूहे से भी,
कभी शेर से लडने जाते.
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बहुत सुन्दर बाल मन की रचना!
बहुत सुन्दर बाल मन का चित्रण... प्यारी कविता...
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