गर्मी आयी, गर्मी आयी,
स्विमिंग पूल में मस्ती छायी.
गर्मी में जब सूरज तपता,
ठंडा पानी अच्छा लगता.
पानी में हम दिन भर तैरें,
नहीं निकलने का मन करता.
मछली रानी जल में रहती,
हर दम वहां तैरती रहती.
कोई रोकटोक नहीं है उसको,
उसको कभी न गर्मी लगती.
आओ सभी पूल में आयें,
पानी में हम धूम मचायें.
बाल गेम पानी में खेलें,
और तैर कर मज़े मनायें.
डैडी ऊंची जम्प लगाते,
बिठा पीठ पर हैं तैराते.
मुझे तैरना है अब आता,
नहीं अकेले पर हम जाते.
सुन्दर बालकविता!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंbdiyaa......
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता ..
जवाब देंहटाएंमजेदार कविता ....मेरे यहाँ भी गर्मी आने वाली है....
जवाब देंहटाएंमछली रानी जल में रहती,
जवाब देंहटाएंहर दम वहां तैरती रहती.
कोई रोकटोक नहीं है उसको,
उसको कभी न गर्मी लगती.
बहुत सुन्दर ....
bahut sundar kavita
जवाब देंहटाएंKamen bhi nahane ka man kar raha hai. Aap log kaho to aa haaun.
जवाब देंहटाएं............
ब्लॉdग समीक्षा की 12वीं कड़ी।
अंधविश्वास के नाम पर महिलाओं का अपमान!
आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html
बहुत सुन्दर रचना ... गर्मी में तैरने की बात ने भी रोमांचित किया ... बच्चों की यह सुन्दर रचना ..इस के लिए आपको बधाई...
जवाब देंहटाएं