क्यों इतनी गर्मी दिखलाता.
क़ैद कर दिया हम को घर में,
बाहर खेल नहीं हम पाते.
सुबह शाम भी इतनी गर्मी,
नहीं पार्क में भी जा पाते.
इतनी सांस गर्म क्यों लेते,
लू बन कर के हमें सतायें.
परेशान हैं पशु पक्षी भी,
न दाना पानी को उड़ पायें.
चंदा मामा तुमसे अच्छे,
सबको वह शीतलता देते.
हो गर्मी, सर्दी का मौसम
हरदम सदां एक से रहते.
तुम सर्दी में लगते प्यारे,
पर गर्मी में रौद्र रूप क्यों?
तुम देते हो सबको जीवन,
फिर स्वभाव में परिवर्तन क्यों.
शांत करो अब अपना गुस्सा,
गर्मी से सब राहत पायें.
मिलकर तुम भी तो खुश होगे,
जब बच्चे बाहर आपायें.
क्या बात है बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसूरज को गुस्सा क्यों आता...
बहुत प्यारी कविता है सर!फेसबुक पर आपके लिंक से इस ब्लॉग का पता चला.
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर बाल कविता
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और मजे़दार कविता है
जवाब देंहटाएंबिल्कुल बालमन की बालकविता रची है आपने!
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंसुन्दर बाल कविता....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंBahut sunder baalkavita..(One of the Best I've ever read)... :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और शानदार कविता! बधाई !
जवाब देंहटाएंबाल-कविता तो बहुत खूब लिखी लेकिन पहली पंक्ति में किया बाल-प्रश्न अंत तक अनसुलझा ही रह गया...
जवाब देंहटाएंकवि कल्पना बच्चों में ही रमकर रह गई.. उत्तर न खोज पायी.
... मैंने जब शीर्षक पढ़ा तो सोचा था कि मुझे सूरज के बढ़ते गुस्से का कारण मिल जायेगा, लेकिन बालक-मन की जिज्ञासा शांत नहीं हुई.
बहरहाल मज़ा बहुत आया बोल-बोलकर पढ़ने में...
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (21.05.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
आज पता चला कि इतनी तेज गर्मी क्यों पड़ रही है...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना.
बहुत बहुत बढ़िया बाल कविता!
जवाब देंहटाएंटेलीविजन चैनलों की नकली चमक और भौतिकता की बढ़ती कुसंस्कृति के इस कठिन दौर में बाल-साहित्य विलुप्त हो रहा है.बाल-पत्रिकाओं और बच्चों के लिए कविता -कहानी लिखने वालों की संख्या भी काफी कम रह गयी है. ऐसे नाज़ुक वक्त में बाल-साहित्य में आपकी सक्रियता उम्मीद जगाती है. इस प्यारी -सी सुंदर बाल-कविता के लिए हार्दिक बधाई. बहुत-बहुत शुभकामनाएं .
जवाब देंहटाएंसूरज का गुस्सा अच्छा है
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर. बचपन याद आ गया
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
शांत करो अब अपना गुस्सा,
जवाब देंहटाएंगर्मी से सब राहत पायें.
मिलकर तुम भी तो खुश होगे,
जब बच्चे बाहर आपायें.
bachche ki baat jaroor maanege ye suraj aur chand ,sundar aur pyaari rachna
बहुत प्यारी रचना . बधाई . आज है मेरे बेटे सृजन का जन्म दिन ...देखें - बाल मंदिर
जवाब देंहटाएंhttp://baal-mandir.blogspot.com/
Man ko bhane wali rachna.
जवाब देंहटाएं............
खुशहाली का विज्ञान!
ये है ब्लॉग का मनी सूत्र!
यह देख कर बहुत अच्छा लगा कि आप बच्चो के लिए भी लिखते है.
जवाब देंहटाएंबड़ी सरल और प्यारी रचना है भाई जी ! शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंaadarniy sir
जवाब देंहटाएंaapki itni -itni pyaari post ko padhne ke baad ek hi shabd mukh se nikla ---Wah
bachcho ke jariye suraj bhaiya se shikayat ka yah anutha roop bahut bahut hi pasand aaya.
bahut hi pyaari si bal rachna ,bachcho ko bhi padhvaungi
hardik abhinandan
is behatreen kavita ke liye
(fir se dubaara padhne ja rahi hun .aapne itna achha jo likha
bahut bahut dhanyvaad
poonam
haan sooraj chacha itna gussa bhi thik nahi .thoda shant ho jao
जवाब देंहटाएंbahut bahut sundar geet.
मजेदार बाल कविता| आभार शर्मा जी|
जवाब देंहटाएंaaj pahali bar yah blog dekha, sundar bal kavita hai
जवाब देंहटाएंpavitra
सुन्दर रचना. आभार
जवाब देंहटाएं