बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

चंदा मामा

मामा बनते हो तुम चंदा
मेरे घर पर कभी न आते.
तारों साथ रात भर रहते
पर बच्चों के पास न आते.


घटते बढ़ते रोज रोज क्यों,
पूरे तुम अच्छे लगते हो.
इसका राज बताओ हमको,
क्या तुम दूध नहीं पीते हो?


कभी चांदनी लेकर आते,
कभी अँधेरे में क्यों रहते?
सारी रात जागते हो तुम,
दिन में किसके घर में रहते?


नानी रहती साथ तुम्हारे
हर पल रहती सूत कातती.
मेरी नानी तो दूर बहुत है
बहुत दिनों में मिलने आती.


आओ कभी हमारे घर पर
हमें कहानी खूब सुनाओ.
खीर बनायेगी माँ मेरी,
आओ बड़े स्वाद से खाओ.


कैलाश शर्मा 

19 टिप्‍पणियां:

  1. "बच्चों का कोना"पर बिलकुल बाल मन सी कोमल भाव लिए बहुत ही प्यारी रचना....

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  2. चंदा मामा पर एक सुन्दर प्रस्तुति ||

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  3. बहुत अच्‍छी कविता है और बच्‍चे का फोटो तो बहुत ही प्‍यारा है।

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  4. बहुत ही अच्छी बालकविता.......

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  5. बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना|

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  6. बच्चों के मन को पढ़ती सुन्दर बाल कविता|

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  7. घटते बढ़ते रोज रोज क्यों,
    पूरे तुम अच्छे लगते हो.
    इसका राज बताओ हमको,bahut badhiya.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर कविता..मजेदार..बधाई !!

    जवाब देंहटाएं
  9. आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    http://charchamanch.blogspot.com
    चर्चा मंच-798:चर्चाकार-दिलबाग विर्क>

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  10. बहुत ही अच्छी बालकविता

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  11. सुन्दर और प्यारी बाल कविता ...

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  12. क्या तुम दूध नहीं पीते हो?
    वाह , क्या बात है. सरल बालोपयोगी कविता.

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  13. कभी चांदनी लेकर आते,
    कभी अँधेरे में क्यों रहते?
    सारी रात जागते हो तुम,
    दिन में किसके घर में रहते?
    बहुत सशक्त बाल कविता चंदा की कलाएं चुपचाप समझाती सी .

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  14. बहूत हि अच्छी ,सुंदर बाल कविता है...

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  15. कभी चांदनी लेकर आते,
    कभी अँधेरे में क्यों रहते?
    सारी रात जागते हो तुम,
    दिन में किसके घर में रहते?
    बारहा पढने लायक रचना .गेयता से sansikt lori geet सी .

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