शुक्रवार, 16 मार्च 2012

बुद्धिमान बकरियां (काव्य कथा)

एक नदी पर पुल था सकरा,
एक बार में एक जा पाता.
एक तरफ से कोई जब आता,
दूजा उसी छोर रुक जाता.


दो मूरख, जिद्दी थीं बकरी,
पुल पर दो छोरों से आयीं.
पुल के बीचों बीच पहुँच कर,
पीछे हटने पर हुई लड़ाई.


वे न पीछे हटने को राजी,
दोनों आगे बढ़ती आयीं.
लड़ते लड़ते गिरी नदी में,
उन दोनों ने जान गंवाई.


एक बार बुद्धिमान दो बकरी,
पहुँची साथ बीच उस पुल के.
कैसे यह पार करें हम दोनों,
युक्ति निकाली मिलजुल के.


झुक कर बैठ गयी एक बकरी,
दूजी ऊपर से पार कर गयी.
दोनों पहुंच गयी मंजिल पर,
बुद्धि से एक राह बन गयी.


कोई समस्या जब भी आये,
झगड़े से वह नहीं सुलझती.
बुद्धि का उपयोग करो जब,
हर मुश्किल की राह निकलती.


कैलाश शर्मा 

22 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक शिक्षाप्रद सुन्दर बाल कविता...

    जवाब देंहटाएं
  2. बधाई |

    बहुत अच्छी प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  3. कोई समस्या जब भी आये,
    झगड़े से वह नहीं सुलझती.
    बुद्धि का उपयोग करो जब,
    हर मुश्किल की राह निकलती.

    सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं,बड़ों के लिए भी अच्छी सीख!

    जवाब देंहटाएं
  4. कोई समस्या जब भी आये,
    झगड़े से वह नहीं सुलझती.
    बुद्धि का उपयोग करो जब,
    हर मुश्किल की राह निकलती.

    please accept my pranam .
    beautiful story narrated in poem .

    जवाब देंहटाएं
  5. शिक्षाप्रद सुन्दर बाल कविता...

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत प्यारी बल-सुलभ रचना रोचकता लिए ... साधुवाद जी /

    जवाब देंहटाएं
  7. इन अनमोल मोतियों को ब्लॉग पे बिखेरने के लिए आपका आभार .बोध को पैना गई यह बोध कथा ,गीतिकाव्य

    जवाब देंहटाएं
  8. कुमति और सुमति के अच्छे उदाहरण देती सुंदर रचना.

    जवाब देंहटाएं
  9. हां,कई बार तो हमारा व्यवहार जानवरों से भी गया-गुजरा होता है।

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह ...बहुत खूब
    सच कहा जी ...सुमति को सही परिभाषित कर दिया

    जवाब देंहटाएं
  11. काव्य कथा की सम्पूर्ण श्रृंखला रोचक है

    जवाब देंहटाएं
  12. बच्चे कोरे पृष्ठ हैं,बच्चे हैं निष्पाप|
    इन बच्चों से स्नेह अति, रखते मित्र हैं आप||

    बच्चों को सिखला रहे,आप नीति औ प्रीति|
    यही बाल-साहित्य की,है सुधर की रीति||

    जवाब देंहटाएं

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...