दो बिल्ली एक राह जा रहीं
नजर आयी उनको एक रोटी.
आपस में वे लगीं थी लड़ने,
पहले देखी मैंने यह रोटी.
कोई फैसला हुआ न उनमें,
उसी समय एक बन्दर आया.
झगड़े का कारण सुन कर के,
उसने एक उपाय सुझाया.
लड़ने से न कोई फ़ायदा,
बाँट बराबर खा लो रोटी.
मैं आधी आधी कर दूँगा,
तोल तराजू पर यह रोटी.
कर के दो टुकड़े रोटी के
एक एक पलड़े में रक्खा.
जो टुकड़ा थोडा था भारी,
तोड़ के उससे मुंह में रक्खा.
कभी एक और कभी दूसरा,
टुकड़ा रोटी का भारी होता.
उससे एक तोड़ता टुकड़ा,
वह उसके मुंह अन्दर होता.
देख बचा छोटा सा टुकड़ा,
बिल्ली समझ गयीं चालाकी.
बंटवारा न हमें चाहिए,
वापिस कर दो रोटी बाकी.
एक बराबर हों दो टुकड़े,
बंदर बोला मैंने कोशिश की.
अब जो टुकड़ा बचा हुआ है,
वह कीमत मेरी मेहनत की.
होता परिणाम सदां ऐसा ही,
जब झगड़े न खुद सुलझाते.
दो जन का जब भी झगड़ा हो
सदां तीसरे लाभ उठाते.
कैलाश शर्मा
नजर आयी उनको एक रोटी.
आपस में वे लगीं थी लड़ने,
पहले देखी मैंने यह रोटी.
कोई फैसला हुआ न उनमें,
उसी समय एक बन्दर आया.
झगड़े का कारण सुन कर के,
उसने एक उपाय सुझाया.
लड़ने से न कोई फ़ायदा,
बाँट बराबर खा लो रोटी.
मैं आधी आधी कर दूँगा,
तोल तराजू पर यह रोटी.
कर के दो टुकड़े रोटी के
एक एक पलड़े में रक्खा.
जो टुकड़ा थोडा था भारी,
तोड़ के उससे मुंह में रक्खा.
कभी एक और कभी दूसरा,
टुकड़ा रोटी का भारी होता.
उससे एक तोड़ता टुकड़ा,
वह उसके मुंह अन्दर होता.
देख बचा छोटा सा टुकड़ा,
बिल्ली समझ गयीं चालाकी.
बंटवारा न हमें चाहिए,
वापिस कर दो रोटी बाकी.
एक बराबर हों दो टुकड़े,
बंदर बोला मैंने कोशिश की.
अब जो टुकड़ा बचा हुआ है,
वह कीमत मेरी मेहनत की.
होता परिणाम सदां ऐसा ही,
जब झगड़े न खुद सुलझाते.
दो जन का जब भी झगड़ा हो
सदां तीसरे लाभ उठाते.
कैलाश शर्मा
बोध कथा का काव्य रूपांतरण सहज सरल सुबोध गायन शैली में कर दिखाया आपने .सीख देती बाल कविता .
जवाब देंहटाएंकथा और प्रस्तुति दोनों अच्छी हैं। एकदम पंचतंत्र के कहानियों सरीखी। सीधे समझ आने वाली।
जवाब देंहटाएंवाह! ये कहानी तो मैंने बहुत बार सुनी और कई जगह पढ़ी है, लेकिन इसे यूँ कविता के रूप में गाते हुए पढाना तो वाकई बहुत मज़दार है !
जवाब देंहटाएंsundar prastuti.
जवाब देंहटाएंदोनो की लड़ाई में तीसरे का लाभ !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .....
ikdam sahi bat ....bahut acchi prastuti.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सिख देती रचना:-)
जवाब देंहटाएंकहानी को बहुत सुंदर कविता के रूप में लिखा है ...
जवाब देंहटाएंकल 31/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
सुन्दर और रोचक बाल कविता..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंघूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
रोचक प्रस्तुति.... प्राथमिक शाला याद आ गया...
जवाब देंहटाएंसादर।
अच्छी बात बताती कविता ....
जवाब देंहटाएंबचपन की सुनी कहानी को बड़ी खूबसूरती से कविता में ढाला.....
जवाब देंहटाएंबचपन मेरा बीत गया था.....कविता सुन फिर वापस आया
बहुत खूब ..........ये कथा तब भी बहुत अच्छी लगी थी और अब नए रूप में भी बहुत अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...इसे मैं बिटिया को भी पढ़ाऊंगी
जवाब देंहटाएंहोता परिणाम सदां ऐसा ही,
जवाब देंहटाएंजब झगड़े न खुद सुलझाते.
दो जन का जब भी झगड़ा हो
सदां तीसरे लाभ उठाते.
प्रिय कैलाश जी बहुत सुन्दर बाल गीत प्यारा सन्देश आइये सब मिल एक बनें नेक बनें
भ्रमर ५
बचपन की यादे फिर से ताज़ा हो गई ......आभार
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