शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

शेर और लकड़हारा (काव्य-कथा)

जब भी शेर शिकार को जाता,
साथ सियार, कौआ भी जाते.
जो भी बचता था शिकार से,
वे दोनों मिलजुल कर खाते.


एक लकड़हारा जाता था जंगल,
शेर अकेला, आया पीछे से.
देख लकड़हारा घबराया,
करने लगा बात हिम्मत से.


बात लकड़हारे की रुचिकर थीं,
सुन कर मज़ा उसे था आया.
चखा लकड़हारे का खाना,
स्वाद शेर के मन को भाया.


उसके साथी साथ नहीं थे,
उस दिन शेर अकेला ही था.
सादा भोज लकड़हारे का 
भुला गया खाना शिकार का.


छोड़ दिया जाना शिकार पर 
खाता साथ लकड़हारे के.
उसके न शिकार जाने से 
कौआ सियार रहते थे भूखे.


छुप कर किया शेर का पीछा,
देखा उसे रोटियाँ खाते.
चलता रहा अगर ऐसा ही,
पड़ जायेंगे खाने के लाले.


साथ शेर लकड़हारे का
कैसे टूटे प्लान बनाये.
विनती करी शेर से उन ने
उन्हें दोस्त से भी मिलवाये.


होकर राजी, साथ उन्हें ले 
चला लकड़हारे से मिलने.
देखा उन्हें दूर से आते,
लगा तुरत पेड़ पर चढ़ने.


बहुत कहा लकड़हारे से,
मगर नहीं वह नीचे आया.
खोकर एक मित्र सच्चे को,
शेर बहुत मन में पछताया.


अपने किसी दोस्त की बातें
अन्य किसी को नहीं बताना.
है आसान दोस्ती करना,
लेकिन मुश्किल उसे निभाना.


कैलाश शर्मा 

16 टिप्‍पणियां:

  1. है आसान दोस्ती करना,
    लेकिन मुश्किल उसे निभाना.

    काव्य कथा बहुत अच्छी है...संदेशपरक|

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  2. है आसान दोस्त करना,
    लेकिन मुश्किल उसे निभाना |
    सचमुच कितनी सही बात है ये.... बहुत ही अच्छी काव्य-कथा!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. है आसान दोस्ती करना,
    लेकिन मुश्किल उसे निभाना...bilkul sahi bat...

    जवाब देंहटाएं
  4. पहली दफा आपके ब्लॉग पर आया हूँ!
    अति प्रिय लगी आपकी प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही प्यारी काव्य कथा है सर!


    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. सच है दोस्त बनाने में और दोस्ती निभाने में बहुत फर्क है .........

    जवाब देंहटाएं
  7. बच्चों के लिये प्रेरणादायी एवं
    शिक्षात्मक रचना।
    सुन्दर अभिव्यक्ति।

    आनन्द विश्वास

    जवाब देंहटाएं
  8. अपने किसी दोस्त की बातें
    अन्य किसी को नहीं बताना.
    है आसान दोस्ती करना,
    लेकिन मुश्किल उसे निभाना.
    रोचक शैली में सीख देती बोध कथा चुपके चुपके ,औत्सुक्य बनाती .,बनाए रखती .

    जवाब देंहटाएं
  9. बोध देती सुंदर बाल कविता...

    जवाब देंहटाएं
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