घनघोर घटायें जब आतीं,
धरती खुशियों से हर्षाती.
मन मयूर नाचने लगता,
जब बारिस की बूँदें आती.
बहता पानी जब गलियों में,
बच्चे आकर छप छप करते.
कागज़ की कश्ती जब बहती,
ख़्वाबों में कितने शहर गुज़रते.
पेड़ नहा कर के बारिस में,
हरे हरे पत्तों से सजते.
वर्षा रानी के स्वागत में,
नृत्य मयूर खुशी से करते.
बारिस धरती का जीवन है,
किसान आस से तकते हैं.
जब खेतों में बूँदें गिरतीं हैं,
खुशियों से नाचने लगते हैं.
बारिस में आओ सब भीगें,
मौसम का आनंद उठायें.
मम्मी से फिर कहेंगे जाकर,
गरम पकोड़े हमें खिलायें.
....कैलाश शर्मा
बहुत सुन्दर प्यारी कविता...
जवाब देंहटाएं:-)
waah bahut hi sundar barisha ka varnan ...
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी कविता ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर मनमोहक शव्दों से सजी आपकी ये अभिव्यक्ति ......बेहतरीन पंक्तियां ............
जवाब देंहटाएंपेड़ नहा कर के बारिस में,
हरे हरे पत्तों से सजते.
वर्षा रानी के स्वागत में,
नृत्य मयूर खुशी से करते.
बारिस धरती का जीवन है,
किसान आस से तकते हैं.
जब खेतों में बूँदें गिरतीं हैं,
खुशियों से नाचने लगते हैं.
Bhut sundar Baal kavita
जवाब देंहटाएंbahut hi mnmohak prastuti ...
जवाब देंहटाएंबचपन की बड़ी शिद्दत से याद दिला दी आपने ! बहुत मनभावन रचना ! हम भी आतुरता से बारिश के लिये स्वागतोत्सुक हैं !
जवाब देंहटाएंपढ़ कर लगा जैसे सच मुच ही बारिश हो रही हो ..बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी कविता..
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जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता.
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मासूम-सी कविता
जवाब देंहटाएंबहता पानी जब गलियों में,
जवाब देंहटाएंबच्चे आकर छप छप करते.
कागज़ की कश्ती जब बहती,
ख़्वाबों में कितने शहर गुज़रते.
बहुत प्यारी कविता ..
बेहद सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबारिश धरती का जीवन है ,बदल धरती का घूँघट है .जल चक्र को समझाता है ,बादल मन को भाता है बढ़िया बाल गीत .
जवाब देंहटाएंआज ही वारिश में पकौड़े खाए हैं :)
जवाब देंहटाएंप्यारी कविता
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जवाब देंहटाएंमम्मी से फिर कहेंगे जाकर,
गरम पकोड़े हमें खिलायें
इस पार्टी में तो सब शामिल होना चाहेंगे
khubsyurat barish ki khubsurat rachna...
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंबारिस में आओ सब भीगें,
जवाब देंहटाएंमौसम का आनंद उठायें.
मम्मी से फिर कहेंगे जाकर,
गरम पकोड़े हमें खिलायें.
बहुत ही प्यारी रचना !
सुंदर प्रस्तुति ।।।
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