शनिवार, 9 मई 2015

गर्मी मीठे फल है लाती

लाल लाल तरबूजे लाती,
गर्मी मीठे फल है लाती.

आम फलों का राजा होता,
बच्चों को मनभावन लगता.
मीठे पके आम सब खाते,
मेंगो शेक भी अच्छा लगता.

खरबूजा गर्मी में आता,
मीठा गूदा मन को भाता.
ठंडा करके जब यह खाते,
तन मन है हर्षित हो जाता.

गोल गोल अंडे सी लीची,
मीठा कितना गूदा होता.
नमक लगा कर जामुन खाओ,
इनका मज़ा अलग है होता.

हर मौसम का मज़ा है अपना.
हर मौसम कुछ अच्छा लाता.
लस्सी शेक व शरबत पी कर,
तन मन है ताज़ा हो जाता.

...© कैलाश शर्मा 

शनिवार, 28 मार्च 2015

आलसी ब्राह्मण (काव्य-कथा)

एक ब्राह्मण बहुत आलसी, एक गाँव में रहता था,
खेत जमीन बहुत थी उसके, लेकिन कुछ न करता था.

उसके आलस के कारण, पत्नी बहुत दुखी रहती थी,
मैं क्यों काम करूंगा कोई, कहता जब पत्नी कहती थी.

एक दिन घर में साधू आया, उसका था सत्कार किया,
हाथ पैर उसके धुलवा कर, उसको था जलपान दिया.

कुछ भी चाहो वत्स मांग लो, खुश होकर साधू था बोला,
मुझे आप एक सेवक दे दो, हाथ जोड़ वह ब्राह्मण बोला.

ऐसा ही होगा कहते ही, प्रगट हुआ वहां एक दानव,
बोला मुझे काम दो जल्दी, वरना तुम्हें खाऊंगा मानव.

उसको आज्ञा दी ब्राह्मण ने, खेतों में जा पानी देना,
कुछ पल में ही लौटा दानव, बोला और काम क्या देना.

चिंतित होकर लगा सोचने, दानव को क्या काम बताऊँ,
व्यस्त रखूँ मैं कैसे इसको, कैसे मैं अपनी जान बचाऊं.

ब्राह्मण डरते डरते बोला, खेत जोत कर अब तुम आना,
उसकी पत्नी उससे बोली, मुझ पर छोडो ये काम बताना.

अगर न आलस होता तुम में, अपना काम स्वयं ही करते,
कभी न ऐसा दिन था आना, जब तुम एक दानव से डरते.

कुछ ही देर में दानव आया, कहने लगा काम बतलाओ,  
ब्राह्मण पत्नी उससे बोली, जो मैं कहती अब कर आओ.

मोती कुत्ता है बाहर बैठा, उसकी सीधी पूंछ करो तुम,
पूरा जब हो काम तुम्हारा, तब ही आना पास मेरे तुम.

पति से जाकर के वह बोली, अब तुम बिना डरे सो जाओ,
आलस को है तुम तज करके, कल से स्वयं खेत में जाओ.

उठ कर सुबह खेत जाने को, ब्राह्मण घर से बाहर आया,
टेढ़ी पूंछ न हुई थी सीधी, कोशिश करते दानव को पाया.

ब्राह्मण ने दानव से पूछा, कितना काम अभी है बाकी,
हँस कर कहा और फिर उससे, और काम देना है बाकी.

आलस से जो दूर है रहता, सुख संतोष सदा वह पाता,
अपना काम स्वयं जो करता, नहीं किसी से है भय खाता.

...कैलाश शर्मा  

शनिवार, 17 जनवरी 2015

आसमान में यदि घर होता

आसमान में यदि घर होता,
झिलमिल तारे साथी होते।
चंदा मामा के घर जाते,
उनसे मिलके हम खुश होते।

नील गगन बन जाता आँगन,
लुका छुपी तारों से खेलते।
चंदा मामा के घर जा कर,
नानी के चरखे को देखते
      

धवल चांदनी रातों में हम
बैठ बादलों पर जब उड़ते।
साथ सितारों को लेकर के,
सारी दुनिया में हम फिरते

भूख अगर लगती जब हम को,    
चंदा मामा के घर जाते          
नानी फ़िर पकवान बनाती,        
हम सब हैं मिलकर के खाते
      

...कैलाश शर्मा 

बुधवार, 24 दिसंबर 2014

सेंटा क्लॉज़ है सबका प्यारा

क्रिसमस का त्यौहार है आता,
बच्चों को खुशियाँ है लाता।

इंतज़ार करते सब बच्चे,
लेकर के उपहार आयेगा।
सेंटा क्लॉज़ है सबका प्यारा,
वह उनसे मिलने आयेगा।

साझे हैं त्यौहार सभी के,
मिल के सबके साथ मनाओ।
भेद भाव को सभी भुला कर,
सब को अपने गले लगाओ।

क्रिसमस ट्री लगता है प्यारा,
मिलजुल कर है इसे सजाया।
आसमान उतरा ज़मीन पर,
इतना इसको है चमकाया।

बिस्किट, केक बनाए माँ ने,
चलो सभी मिलकर के खाएं।
त्यौहारों का अर्थ यही है,
मिलजुल कर हम इन्हें मनाएं।


**MERRY CHRISTMAS**

...कैलाश शर्मा 

बुधवार, 22 अक्तूबर 2014

चलो सभी एक दीप जलायें

                                               (Painting by Abhyudai Tiwari)
                                          
                                    **दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें**
 
गहन अँधेरा आज छा रहा,
चलो सभी एक दीप जलायें।
कम न रोशनी घर की होगी,
ग़र प्रकाश कुटियों में लायें।
 
हर चहरे पर खुशी नहीं हो,
तो खुशियाँ हैं सदा अधूरी।
एक कोना भी जो अँधियारा,
दीपावली न हो पाये पूरी।
 
भूखे पेट, नग्न तन जो हैं,
सामिल करो उन्हें खुशियों में।
कहीं उदासी रहे न बाक़ी,
कुछ खुशियाँ दे दो कुटियों में।
 
जीवन में सबके हों खुशियाँ,
नहीं अभाव किसी घर में हो।
करो प्रयास सभी मिलजुल के,
सुख, सम्रद्धि हर घर में हो।
 
फुलझड़ियों सी हो मुस्कानें,
खुशियाँ हर जीवन में आयें।
 
...कैलाश शर्मा

शनिवार, 27 सितंबर 2014

मित्रता का फल (काव्य-कथा)

जंगल में था एक कंगारू,
साथ में बच्चे के रहता था।
अपने मृदु स्वभाव के कारण,
सभी जानवरों में वो प्रिय था।

एक दिन दौड़ रहा कंगारू,
एक पेड़ से जा टकराया।
चोट लगी थी पैर में गहरी,
कंगारू था उठ न पाया।

दर्द भरी चीख सुन कर के,
हुए इकट्ठे सभी जानवर।
देख चोट गंभीर है उसकी,
दुखी हो गए सभी जानवर।

कर के जांच था भालू बोला,
यह इलाज न मेरे बस का।
लाना होगा अब इलाज को,
हमें डॉक्टर कोई शहर का।

तब रामू खरगोश था बोला,
उसका दोस्त शहर में रहता।
सीजर कुत्ते का है मालिक
एक डॉक्टर शहर में रहता।

रामू दौड़ शहर में पहुंचा,
सीजर को उसने बतलाया।
सुनकर बात सभी सीजर ने
मालिक से उसको मिलवाया।

बहुत दयालु उसका मालिक,
उसने अपना बैग उठाया।
सीजर, बेटे, खरगोश साथ में,
वह तुरंत जंगल में आया।

देख चोट उसकी था डॉक्टर
तुरत इलाज लगा था करने।
कुछ ही पल में दवा से उसकी
कंगारू फ़िर लगा था चलने।

प्यार मोहब्बत से जो रहते,
उनके दुःख में सब साथी हैं।
कितनी भी हों बड़ी मुसीबत,
पल भर में सब मिट जाती हैं।

शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

शिक्षक दिवस

            **शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को सादर नमन**

बच्चे तो कच्ची मिट्टी हैं,
शिक्षक उससे मूरत गढ़ते।
नमन आज उन गुरुओं को,
मूरत में सद्गुण रंग भरते।

केवल अक्षर ज्ञान न देते,
आगे बढ़ने की राह बताते।
जीवन के इस अंधकार में,
सदा ज्ञान का दीप जलाते।

प्रेम, धैर्य, सद्गुण हों जिसमें,
वह सच्चा शिक्षक है होता।
स्नेह और मृदुता हो जिसमें,
बच्चों को है वह प्रिय होता।

शिक्षक का सम्मान जो करते,
वे सदैव उनके प्रिय बन रहते।
पूज्य हों शिक्षक जिस समाज में,
अज्ञान, अशिक्षा वहां न रहते।


...कैलाश शर्मा 
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