रंग अलग हैं क्यों फूलों के,
ख़ुश्बू अलग अलग क्यों होती?
दिन में जब सूरज उगता है,
रात्रि कहाँ जाकर है सोती?
क्यों कुछ पेड़ बड़े होते हैं,
क्यों कुछ हैं छोटे रह जाते?
चाँद कहाँ जाता है दिन में,
बादल कैसे पानी भर लाते?
तितली रंग बिरंगी क्यों हैं,
भंवरा क्यों काला होता है?
होता आम बहुत ही मीठा,
नींबू क्यों खट्टा होता है?
शायद हम छोटे बच्चे हैं,
नहीं समझ पाते हम इससे.
जब घर डैडी आजायेंगे
तब हम यह पूछेंगे उनसे.
atyant sunder bal geet hai
जवाब देंहटाएंमजेदार कविता ...बहुत अच्छी है
जवाब देंहटाएंकैलाश जी आप कैसे एक बच्चे को जीते हैं ।
जवाब देंहटाएंभाव बच्चे के । परिपक्वता मँझे हुये कवि की ।
कविता बहुत सुन्दर भावपूर्ण है ।
कविता बहुत सुन्दर भावपूर्ण है|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंsundar rachna ,bachcha man jaroori hai yahan .
जवाब देंहटाएंबतमन में उठती जिज्ञासा को लेकर बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंसच मे बच्चों के प्रश्न बहुत मासूम होते हैं कई बार हम भी उनका जवाब नही दे पाते। सुन्दर रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंमें अभी भी समझने कि कोशिश करता हूँ..परन्तु विफल रहता हूँ :))))))))
जवाब देंहटाएंअद्वितीय कविता कैलाश सर... धन्यवाद.
aadarniy sir
जवाब देंहटाएंpahli baar aapke is blig par aai hunaur bahut bahut achha laga yahan aakar.
bahut hi khoobsurat tareeke se aapne bachchon ke man me ghumadte hue sawalo ko ptastut kiya hai.
sach mebachcho ki jigyasa shant karne bahut hi tedhi baat hai.
dhanyvaad
poonam
bachcho ko sabdo me jeena.........wo bhi iss umar me:)
जवाब देंहटाएंbahut khub!
मजेदार कविता ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंbal sulabh sundar prashan ...
जवाब देंहटाएंबालमन के भावना को समझती हुई अच्छी कविता ..........
जवाब देंहटाएंबालमन की कोमलता और अबोधपन को स्पर्श करती बहुत सुन्दर रचना....
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