बैठा उसे पेड़ पर लेकर.
खाऊँगा अब इसे स्वाद से,
धीरे धीरे, मजे ले लेकर.
एक लोमड़ी ने जब देखा,
रोटी देख के वो ललचायी.
कैसे यह रोटी मैं पाऊं,
उसने उसकी जुगत लगायी.
मेरे सुन्दर प्यारे भैया,
तुम कितना मीठा गाते हो.
सब गाते जंगल में बेसुर,
तुम ही बस अच्छा गाते हो.
कौआ हुआ फूल कर कुप्पा,
जब उसने ये सूनी प्रशंसा.
बुद्धि बंद हो गयी उसकी,
समझ न पाया उसकी मंशा.
गाने को जैसे ही मुंह खोला,
नीचे गिरी चोंच से रोटी.
भाग गयी लेकर के लोमड़ी,
बोली बुद्धि तुम्हारी मोटी.
झूठी तारीफ़ से बचना सीखो,
अपनी कमियों को पहचानो.
चापलूस हैं बहुत यहाँ पर,
उनकी बातों का मतलब जानो.
समझ न पाया उसकी मंशा.
गाने को जैसे ही मुंह खोला,
नीचे गिरी चोंच से रोटी.
भाग गयी लेकर के लोमड़ी,
बोली बुद्धि तुम्हारी मोटी.
झूठी तारीफ़ से बचना सीखो,
अपनी कमियों को पहचानो.
चापलूस हैं बहुत यहाँ पर,
उनकी बातों का मतलब जानो.
सुंदर :)
जवाब देंहटाएंझूठी तारीफ़ से बचना सीखो,
जवाब देंहटाएंअपनी कमियों को पहचानो.
चापलूस हैं बहुत यहाँ पर,
उनकी बातों का मतलब जानो.
@ नेतृत्व को सावधान कराती सीख...
मीठे बोंल बेशक समर्थन के ही हों.... जरूरी नहीं कि वे हित भी करते हों.
बात अच्छी लगना और बात उचित होना .... दोनों में काफी अंतर है.
सुन्दर बाल गीत.. मेरा भी मन करता है कि मैं बाल गीत पर काम करूँ. अच्छा देखती हूँ.
जवाब देंहटाएंसुंदर गीत।
जवाब देंहटाएं------
लो जी, मैं तो डॉक्टर बन गया..
क्या साहित्यकार आउट ऑफ डेट हो गये हैं ?
सुन्दर बाल गीत.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ! बेहतरीन प्रस्तुती !
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को ईद और गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !