आज नहीं सुननी है मुझको
राजा रानी की नई कहानी।
मेरे मन में जो प्रश्न उठे हैं
आज उन्हें माँ तुम सुलझा दो।
राजा रानी की नई कहानी।
मेरे मन में जो प्रश्न उठे हैं
आज उन्हें माँ तुम सुलझा दो।
तितली रंग बिरंगी क्यों हैं,
इनके पंख कौन है रंगता।
उड़ती रहती फूल फूल पर
माँ मुझको यह राज बता दो।
इनके पंख कौन है रंगता।
उड़ती रहती फूल फूल पर
माँ मुझको यह राज बता दो।
चाँद कहाँ दिन में जाता है,
सूरज कहाँ रात्रि में सोता।
दोनों साथ नहीं क्यों रहते,
बात मुझे माँ यह समझा दो।
सूरज कहाँ रात्रि में सोता।
दोनों साथ नहीं क्यों रहते,
बात मुझे माँ यह समझा दो।
अलग अलग क्यों रंग फलों के,
क्यों कुछ खट्टे, कुछ मीठे होते।
कुछ छोटे, कुछ बड़े क्यों होते,
माँ मुझ को कारण समझा दो।
क्यों कुछ खट्टे, कुछ मीठे होते।
कुछ छोटे, कुछ बड़े क्यों होते,
माँ मुझ को कारण समझा दो।
पक्षी क्यों उड़ पाते नभ में,
शेर नहीं है क्यों उड़ पाता।
चिड़िया सा मैं उड़ न पाता,
मुझ को माँ कारण बतला दो।
शेर नहीं है क्यों उड़ पाता।
चिड़िया सा मैं उड़ न पाता,
मुझ को माँ कारण बतला दो।
इन प्रश्नों को कल समझाना,
मुझको नींद आ रही अब है।
अब तो प्यारे मीठे स्वर में,
माँ मुझको एक गीत सुना दो।
मुझको नींद आ रही अब है।
अब तो प्यारे मीठे स्वर में,
माँ मुझको एक गीत सुना दो।
.....कैलाश शर्मा
वाह बहुत सुंदर लय में !
जवाब देंहटाएंसुन्दर बाल रचना ...
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: मजबूरी गाती है.
बहुत रोचक बाल गीत.... ....'बाल मन की राहें " तथा अभिव्यंजना में आप का स्वागत है
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी कविता
जवाब देंहटाएंसादर
bahut pyaara balgeet ....
जवाब देंहटाएंबढ़िया कविता -
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
सुन्दर प्यारी कविता
जवाब देंहटाएंप्यारी सी कविता,....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..
:-)
वाह कैलाश जी बच्चों की कल्पनाओं को कितने अच्छे व सुन्दर शब्द दिए हैं।
जवाब देंहटाएंबाल सुलभ जिज्ञासाओं को बड़े ही मनभावन रूप में अभिव्यक्ति दी है ! बहुत ही सुंदर बाल गीत !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (14-12-13) को "वो एक नाम" (चर्चा मंच : अंक-1461) पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार...
हटाएंWaah! bahut pyari, bahut sundar :-)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.... रचना बाल सुलभ जिज्ञासा से भरा हुआ ...
जवाब देंहटाएंnice post www.hinditechtrick.blogspot.com
जवाब देंहटाएंकल 15/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
शुक्रिया...
हटाएंगीता-जयन्ती' का का पर्व आप को मंगल- मय हो !
जवाब देंहटाएंएक सुकोमल और मार्मिक रचना के लिये आप को वधाई !
मेरे ब्लॉग 'प्रसून' पर श्रीमद्भगवद्गीता गीता पर कुछ नए विचार देखें !!
बच्चों के मन में उठने वाले प्रश्नों को बहुत ही सरलता से अपने कविता में लिख दिया...मगर यह भी सच है कि जितने सुलभ यह प्रश्न दिखते हैं। उतना ही कठिन होता है, इनका सही उत्तर दे पाना। ताकि बच्चे के मन का क्तुहल शांत हो जाये। नहीं ? :-)) बहुत प्यारी सुंदर सी बाल कविता...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर तरीके से आपने बाल मन की जिज्ञासा को कविता में पिरोया है आदरणीय कैलाश सर
जवाब देंहटाएंbahut sundar kavita aur baal sulabh prshn bhi ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर ..मधुर कविता ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर मनमोहक कविता...बधाई....
जवाब देंहटाएंbahut sundar kavita......
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर गीत ... मन को छूता हुआ ...
जवाब देंहटाएंबाल मन में उठाते हुये प्रश्नों को बहुत सुन्दरता से सहेजा है ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर बाल गीत !
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