शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

माँ मुझको एक गीत सुना दो

आज नहीं सुननी है मुझको
राजा रानी की नई कहानी।
मेरे मन में जो प्रश्न उठे हैं 
आज उन्हें माँ तुम सुलझा दो।

तितली रंग बिरंगी क्यों हैं, 
इनके पंख कौन है रंगता।
उड़ती रहती फूल फूल पर
माँ मुझको यह राज बता दो।

चाँद कहाँ दिन में जाता है,
सूरज कहाँ रात्रि में सोता।
दोनों साथ नहीं क्यों रहते,

बात मुझे माँ यह समझा दो।

अलग अलग क्यों रंग फलों के,     
क्यों कुछ खट्टे, कुछ मीठे होते।
कुछ छोटेकुछ बड़े क्यों होते,

माँ मुझ को कारण समझा दो।

पक्षी क्यों उड़ पाते नभ में,
शेर नहीं है क्यों उड़ पाता।
चिड़िया सा मैं उड़ न पाता,    
मुझ को माँ कारण बतला दो।

इन प्रश्नों को कल समझाना, 
मुझको नींद आ रही अब है।
अब तो प्यारे मीठे स्वर में,

माँ मुझको एक गीत सुना दो।

.....कैलाश शर्मा



27 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत रोचक बाल गीत.... ....'बाल मन की राहें " तथा अभिव्यंजना में आप का स्वागत है

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  2. वाह कैलाश जी बच्‍चों की कल्‍पनाओं को कितने अच्‍छे व सुन्‍दर शब्‍द दिए हैं।

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  3. बाल सुलभ जिज्ञासाओं को बड़े ही मनभावन रूप में अभिव्यक्ति दी है ! बहुत ही सुंदर बाल गीत !

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (14-12-13) को "वो एक नाम" (चर्चा मंच : अंक-1461) पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. बहुत सुंदर.... रचना बाल सुलभ जिज्ञासा से भरा हुआ ...

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  6. कल 15/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  7. गीता-जयन्ती' का का पर्व आप को मंगल- मय हो !
    एक सुकोमल और मार्मिक रचना के लिये आप को वधाई !
    मेरे ब्लॉग 'प्रसून' पर श्रीमद्भगवद्गीता गीता पर कुछ नए विचार देखें !!

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  8. बच्चों के मन में उठने वाले प्रश्नों को बहुत ही सरलता से अपने कविता में लिख दिया...मगर यह भी सच है कि जितने सुलभ यह प्रश्न दिखते हैं। उतना ही कठिन होता है, इनका सही उत्तर दे पाना। ताकि बच्चे के मन का क्तुहल शांत हो जाये। नहीं ? :-)) बहुत प्यारी सुंदर सी बाल कविता...

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  9. बहुत सुन्दर तरीके से आपने बाल मन की जिज्ञासा को कविता में पिरोया है आदरणीय कैलाश सर

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  10. बहुत ही सुन्दर गीत ... मन को छूता हुआ ...

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  11. बाल मन में उठाते हुये प्रश्नों को बहुत सुन्दरता से सहेजा है ...

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